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चित्र-73
अच्छा नहीं माना जाता, परन्तु मस्तिष्क रेखा अधिक लम्बी न होकर निर्दोष भी हो तो उत्तम प्रकार की मस्तिष्क रेखा मानी जाती है। (चित्र-73)।
ऐसे व्यक्तियों में कर्तव्य-शक्ति बहुत होती है। ये दूरदर्शिता से कार्य करने वाले होते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा का निकास जीवन रेखा से अलग भी हो तो ऐसे व्यक्ति सरल प्रकृति व विश्वास करने वाले होते हैं। इस गुण के कारण इन्हें हानि भी होती है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति दूसरों पर अधिक निर्भर रहते हैं। जीवन रेखा अधिक गोल हो या भाग्य रेखा एक से अधिक होने पर हानि के अवसर नहीं आते। बुध की उंगली का तिरछा होना व उसका नाखून छोटा
ST होना भी बुद्धिमता में वृद्धि करता है और हानि के अवसरों में कमी कर देता है।
ऐसे व्यक्ति शान्ति-प्रिय होते हैं, झगड़े में नहीं पड़ते परन्तु कोई झगडा सिर पर आ पड़े तो अन्त तक हिम्मत से लड़ते हैं और शत्रु को हरा कर ही दम लेते हैं। अंगूठा छोटा एवं मोटा हो तो बदला लेने की भावना पाई जाती है तो भी अपने आप किसी झगड़े में नहीं कूदते और कोई झगड़ा सिर पर आ पड़ने पर किसी भी कीमत पर ब्याज सहित चुकाते हैं।
ऐसे व्यक्ति कोमल और कठोर, दोनों प्रकार के होते हैं। पति-पत्नी में बिना किसी बात के अनबन रहती है। ये शक भी करते हैं और प्रेम भी। एक-दूसरे के बिना भी नहीं रह सकते। भाग्य रेखा में द्वीप, जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा का जोड़ अधिक हो तो निश्चित रूप से ऐसा कह सकते हैं। शुक्र उन्नत होने पर इनके जीवन साथी कम वासनात्मक होते हैं, यह भी अशान्ति का एक कारण होता है। मस्तिष्क रेखा मंगल पर जाने की दशा में, यदि हाथ का गठन सुदृढ़ हो तो अन्तिम अवस्था तक यौन दृढ़ता व वासनात्मक मस्तिष्क बना रहता है।
ये व्यक्ति दृढ निश्चयी होते हैं। जिससे मित्रता करते हैं, अन्त तक निभाते हैं। चलते में जान-पहचान करना इनके लिए मामूली बात है। इसी प्रकार शत्रुता को भी अन्त तक भूलते नहीं, जब तक शत्रु क्षमा याचना नहीं कर लेता, चैन से न बैठते हैं, न बैठने देते हैं।
यदि मस्तिष्क रेखा बृहस्पति से उदय हो तो विशेष रूप से मानव सुलभ सद्गुणों का द्योतक है। मस्तिष्क रेखा बृहस्पति से उदय होकर मंगल पर जाए तो उधार लेकर
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