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होती है, इन्हें कब्ज, पेट में अम्ल आदि का प्रभाव होता है।
जीवन रेखा आधी या आधी से अधिक सीधी होने पर जीवन भर स्वास्थ्य चिन्ता लगी रहती है। कमर दर्द, सिर भारी, पेट खराब, भूख कम या अधिक लगना आदि चलता रहता है। इस समय में सन्तान या तो होती नहीं, यदि होती भी है तो कन्या। उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। सन्तान का न होना पत्नी के स्वास्थ्य अर्थात् गर्भाशय में रोग होने के कारण पाया जाता है। समय बीत जाने पर रोग स्वयं ठीक हो जाता है। स्त्री होने की दशा में यदि जीवन रेखा सीधी और मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो पति के वीर्य में दोष पाया जाता है।
जीवन रेखा दोष पूर्ण तथा सीधी होने पर पत्नी का स्वास्थ्य तो खराब रहता ही है, उसकी मृत्यु भी पहले हो जाती है। यह रेखा स्वयं की कभी-कभी दो शादियां भी करा देती है। अन्य लक्षणों से ऐसा निश्चित कर लेना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों की पत्नी टी.वी., संग्रहणी या प्रजनन दोष के कारण मृत्यु को प्राप्त होती हैं। यह पत्नी का स्वभाव तेज होने का लक्षण भी है। ____ अच्छी मस्तिष्क रेखा, उपरोक्त वर्णित जीवन रेखा का दोष दूर करती है, परन्तु जीवन रेखा थोड़ी भी सीधी होने की दशा में कुछ समय तक झंझट अवश्य करती है।
मस्तिष्क रेखा अच्छी होने की अवस्था में काम आराम से चलता रहता है। शुक्र विशेष उन्नत होने पर व्यक्ति अतिवासना प्रिय होता है। दूसरे लक्षण जैसे हृदय रेखा, उंगलियों के पास एवं इसका अन्त शनि और बृहस्पति की उंगली के बीच होने पर तो ये कामांध होकर अनेक प्रकार के कुकर्म कर डालते हैं, जो जीवन में अपकीर्ति का कारण होते हैं।
सीधी जीवन रेखा होने की दशा में पहली सन्तान यदि लड़की होती है तो ठीक है, पुत्र होने पर उसकी आयु कम होती है। यदि भाग्य रेखा में भी द्वीप हो तो ऐसा निश्चित है।
__ इस समय में मां का स्वभाव पत्नी के स्वभाव के अनुकल नहीं पाया जाता है। विवाह के पश्चात् मां व स्वयं में विरोध रहता है। इनके बच्चों के रंग में अन्तर होता है तथा उन्हें टान्सिल, गला या नाक के रोग होते हैं।
जीवन रेखा सीधी होकर यदि पतली हो तो उसे अधूरी जीवन रेखा समझना चाहिए। यह टी.वी. या प्लूरिसी का लक्षण होती है।
सीधी जीवन रेखा वाले व्यक्ति को किसी दुर्घटना में चोट लगती है। पिता या पति का स्वभाव सख्त होता है और बाद में नरम हो जाता है। इन्हें पितृ-दोष होता
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