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दोहरी जीवन रेखा
हाथ में जीवन रेखा के साथ एक-दूसरी समानान्तर जीवन रेखा भी देखने में आती है। कई बार यह रेखा पूरी की पूरी जीवन रेखा के साथ चलती है और कभी आरम्भ से शुरू होकर कुछ समय तक या मध्य से आरम्भ होकर कुछ समय तक रहती है। फल कहने से पहले हमें भली-भांति निर्णय कर लेना चाहिए कि जिस रेखा का हम फल बता रहे हैं, वह वास्तव में जीवन रेखा ही है । इस दूसरी जीवन रेखा की मोटाई मुख्य जीवन रेखा जैसी ही होती है । (चित्र - 40 )
दोहरी जीवन रेखा यदि यह निर्दोष है तो जीवन में सुख, शान्ति, धन, प्रतिष्ठा देती है तथा खतरों से रक्षा करती है । इस दशा में यदि हाथ का आकार चौड़ा, भारी व मांसल हो तो विपुल धन, सम्पत्ति प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति जीवन में असाधारण उन्नति करने वाले व अपने पूरे परिवार के लिए वरदान सिद्ध होते हैं ।
यदि जीवन रेखा अन्त में दोहरी हो तो जिस आयु में दोहरी जीवन रेखा का समय आता है, व्यक्ति उन्नति करना शुरू करता है। यदि जीवन रेखा आरम्भ में अन्दर की ओर दोहरी हो तो उस रेखा के समाप्त होने के पश्चात् ही मनुष्य जीवन में उन्नति कर सकेगा और यदि जीवन रेखा के भीतर की ओर अन्त में जीवन रेखा दोहरी हो तो दोहरी जीवन रेखा का समय आरम्भ होने पर ही अधिक उन्नति होती है। ऐसी जीवन रेखा सन्तान उत्पत्ति में बाधक होती है। दोनों जीवन रेखाएं मिलकर यदि एक बड़ा द्वीप बनाती हैं तो स्वयं या कोई रिश्तेदार हवाई दुर्घटना से बचता है। दोनों हाथों में ऐसा हो तो यह स्वयं के साथ घटित होती है।
चित्र - 40
यदि जीवन रेखा अन्त में दोनों ओर से दोहरी हो तो व्यक्ति को किसी से व्यापार में सहयोग मिलता है या ऐसे व्यक्ति किसी दूसरे के आश्रित रहकर पलते हैं । अन्त में ऐसे व्यक्ति बहुत धनी हो जाते हैं तथा दूसरे के ही द्वारा बढ़ते हैं । दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति विवाह के बाद तरक्की करते हैं। यदि इनकी भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रूकी हो तो यह कई बार विदेश यात्रा भी करते हैं, नहीं तो विदेश यात्रा का फल इनकी सन्तान को होता है। दो से अधिक जीवन रेखा होने पर व्यक्ति सफल तो अधिक होता है, लेकिन उसके जीवन में अधिक अड़चनें और खतरे आते हैं। दो जीवन रेखाओं में से एक यदि बृहस्पति व एक मंगल से निकले तो व्यक्ति दो
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