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आरम्भ में पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । उसे कोई न कोई रोग अवश्य चलता ही रहता है। पति से भी कम बनती है और उनसे अलग रहना पड़ता है, चाहे परिस्थितिवश ही सही। किसी काम धन्धे के विषय में विचार करते समय देखना चाहिए कि ऐसे व्यक्तियों को पहले नौकरी ही करनी चाहिए और ये नौकरी करते भी हैं। ये अधिक धनी नहीं होते और न ही अधिक नकद बचा सकते
हैं।
अंगूठा कम खुलने पर यदि छोटा भी हो तो दूसरे के प्रभाव में आकर इनमें चरित्र दोष आ जाता है और जीवन बरबाद कर बैठते हैं। भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर हो तो एक गलती को कई बार दोहराने वाले देखे जाते हैं। अंगूठा कम खुलने पर यदि भाग्य रेखा हृदय रेखा पर रुकी हो और शुक्र उन्नत हो तो चरित्र दोष के कारण तबाही हो जाती है। उधार देकर ऐसे लोग मांगते नहीं। बात समझदारी की करते हैं और कार्य मूर्खों जैसे। अपनी बू में रहते हैं और एकदम घबरा जाते हैं। ठोकर खाने के बाद गलतियां कम करते हैं और जीवन सुचारु रूप से चलने लगता है। हाथ सख्त होने पर अंगूठा कम खुलता है और भाग्य रेखा गहरी हो तो भाग्य रेखा की समाप्ति के समय ये पुंसत्व में कमी महसूस करते हैं। यह कमी इतनी बढ़ जाती है कि अपने आपको नपुंसक समझने लगते हैं ।
स्त्रियों के हाथ में उपरोक्त लक्षण होने पर ऐसी स्त्रियों को स्नायु विकार हो जाता है। शुक्र व चन्द्रमा अधिक उठा होने पर, मस्तिष्क रेखा का झुकाव चन्द्रमा की ओर होने पर या उसमें दोष होने पर इनको हिस्टीरिया के दौरे पड़ना आदि रोग पाये जाते हैं।
अंगूठा छोटा होने पर कम खुलता हो, उंगलियां टेड़ी मेड़ी हों तो ऐसे व्यक्ति का निवास गन्दे स्थान पर होता है। चारों ओर गन्दगी रहती है। जहां ये लोग बैठते हैं व काम करते हैं, वहां भी गन्दगी रहती है। हो सकता है कि कूड़ाघर या गन्दानाला हो । उंगलियां मोटी होने पर इनकी सन्तान में स्वास्थ्य व चरित्र - दोष पाया जाता है। ऐसे व्यक्तियों के बच्चे टायफाइड, दौरे पड़ना, टांग टूटना, दांत खराब होना, आंख कमजोर होना आदि रोगों से पीड़ित रहते हैं। व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र में अंगूठा कम खुलना ऋणात्मक प्रभाव रखता है और रेखाओं की दशा अच्छी होने के समय तक जीवन में अनेक प्रकार की कमी चलती रहती है। अंगूठा लम्बा होने पर कम खुलता हो तो व्यक्ति का क्रोध पर नियन्त्रण होता है। ऐसे व्यक्ति उन्नति करते हैं तथा परिवार व समाज में पूर्ण सम्मान प्राप्त करते हैं।
टोपाकार अंगूठा
कभी-कभी अंगूठे की अन्तिम पोर एक गांठ का रूप ले लेता है या यह बहुत
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