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चतुर और व्यवहार में निपुण होते हैं। दोषपूर्ण होने पर यह त्रिकोण स्वभाव में चिड़चिड़ापन, व्यापार में हानि, विशेषतया साझे में किये जाने वाले कार्य में झंझट व राजनीतिक प्रतिष्ठा में हानि का लक्षण है। (चित्र - 30 में द) ।
5. यह त्रिकोण निर्दोष अर्थात् कटा-फटा न होने पर सुख, शान्ति, प्रसिद्धि, परिवार में किसी की मृत्यु का द्योतक हैं। काम-धन्धे में परेशानी, पढाई में रूकावट, धन व गृहस्थ जीवन में अशान्ति, किसी का विद्रोह या पढ़ाई छूटना या बार-बार स्थानान्तरण इसी का फल है। ऐसे व्यक्तियों का स्वास्थ्य खराब रहता है । इनके सर में भी कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी चलती है। (चित्र 30 में य) ।
6. भूमि या व्यापार आदि कार्य घर में होते हैं। ऐसे व्यक्ति पहले नौकरी और फिर व्यापार करते हैं। तथा इन्हें इन धन्धों में भी रूकावट होती है। ये साइकिल, किसी अन्य सवारी, मकान या पेड़ से गिरते हैं। ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान होते हैं और संकट के बावजूद भी आगे बढ़ते हैं। समस्याएं होने पर भी जीवन में ख्याति प्राप्त करते हैं। जेल व अभिनन्दन दोनों ही होते हैं (चित्र - 30 में ल) उपरोक्त दोषपूर्ण फल त्रिकोण कटा फटा होने की दशा में ही घटित होते हैं।
7. यह त्रिकोण व्यापार में सफलता का द्योतक हैं ( चित्र - 30 में व ) ।
8. यह मान-प्रतिष्ठा का द्योतक हैं (चित्र - 30 में ह ) ।
9. यह त्रिकोण उत्तम होने पर धन व सम्पत्ति का कारक व रोगों का लक्षण है (चित्र - 30 में से ) ।
डमरू
यह मस्तिष्क व हृदय रेखा के बीच में एक बड़ा गुणा का निशान होता है, जो बड़े अफसरों, ज्योतिषियों, अध्यात्मिक गुण सम्पन्न व्यक्तियों या किसी संस्था के पदाधिकारियों के हाथों में पाया जाता है। ऐसे व्यक्ति धनी व प्रतिष्ठित होते हैं । दोषपूर्ण होने पर यह भीख मांगने का लक्षण है। यदि यह चिन्ह दोनों ओर रेखाओं से न मिला अर्थात् स्वतन्त्र हो तो ऐसे व्यक्ति मन्त्रशक्ति या ज्योतिष विद्या में ख्याति प्राप्त करते हैं और इस विद्या के माध्यम से विपुल धन भी अर्जित करते हैं। इसका विशेष फल उसी दशा में होता है, जबकि इसकी स्थिति ठीक शनि के नीचे हो, नहीं तो केवल घुटनों में चोट आदि का भय रहता है।
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