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शनि व सूर्य की उंगली के मध्य बिन्दु पर
40 वर्ष शनि की उंगली के मध्य बिन्दु पर
50 वर्ष बृहस्पति व शनि की उंगली के मध्य बिन्दु पर
56 वर्ष बृहस्पति की उंगली के मध्य बिन्दु पर
100 वर्ष पहले की तरह हृदय रेखा पर भी लम्ब डाल कर गणना करनी चाहिए और मुड़ी हृदय रेखा होने पर सीधी माननी चाहिए।
भाग्य रेखा पर आयु गणना
भाग्य रेखा पर आयु गणना हथेली के सबसे पास मणिबन्ध को आधार मान कर करनी चाहिए। इसमें मणिबन्ध से एक इन्च की दूरी पर 21 वर्ष की आयु मानी जाती है। अंगूठे को हथेली से मिलाकर उसकी हथेली से मिलने वाली गांठ से भाग्य रेखा पर लम्ब डालने से 24 वर्ष की आयु आती है। इस प्रकार भाग्य रेखा पर आयु निम्न प्रकार से माननी चाहिएप्रथम मणिबन्ध से एक इंच ऊपर
21 वर्ष अंगूठे की हथेली से जोड़ की गांठ का मध्य बिन्दु
24 वर्ष मस्तिष्क रेखा द्वारा भाग्य रेखा को काटने वाला बिन्दु
35 वर्ष हृदय रेखा द्वारा भाग्य रेखा को काटने वाला बिन्दु
50 वर्ष शनि की उंगली हथेली के पास वाले पोर तक
100 वर्ष प्रायः देखा जाता है कि (भाग्य रेखा शनि की उंगली पर जाने की दशा में) भाग्य रेखा को हृदय रेखा 50 वर्ष की आयु में ही काटती है।
जीवन रेखा पर आयु गणना
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि मस्तिष्क रेखा को सीधी मानकर उस पर गणना के चिन्ह लगाकर परकार द्वारा जीवन रेखा पर चाप लगाने से वही आयु आती है जो कि मस्तिष्क रेखा पर आती है, अर्थात् जीवन रेखा को मस्तिष्क रेखा के स्थान पर फैला कर पूर्व नियमानुसार गणना करने से ठीक आयु आती है। यह बात विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए कि जिस बिन्दु से स्वास्थ्य रेखा या भाग्य रेखा, स्पष्ट रूप से जीवन रेखा से निकलती है, वह जीवन रेखा का 69 वां वर्ष माना जाता है।
उपरोक्त आयु गणना के साथ उंगलियों के पोर पर वर्ष गणना के अवलम्बन करने पर हस्तरेखाविद् आसानी से समय या आयु की गणना कर सकता है।
एक अन्य ढंग से भी समय का अनुमान लगाया जाता है। इसमें निम्न प्रकार से गणना की जाती है
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