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जीवन रेखा
जीवन रेखा जितनी ही गोल, सुडौल, देखने में सुदृढ़ तथा दोषमुक्त होती है, उतनी ही अच्छी कहलाती है। यह धन, सन्तान, जीवन साथी व सुखी परिवार के लिए उत्तम फलदायी होती है। दूसरी ओर यह जितनी पतली, कम गहरी, कहीं से मोटी, कहीं से पतली, गोलाकार न होकर आड़ी रेखाओं से कटी-फटी, काली, लाल आदि होती है, उतना ही व्यक्ति को जीवन में धन, स्वास्थ्य तथा दूसरी समस्यायें घेरे रहती हैं। हाथ में जीवन रेखा का विश्लेषणपूर्वक विचार करना अति आवश्यक है। जीवन रेखा में चतुष्कोण व त्रिकोण खतरों से रक्षा करते हैं। साथ ही यह इस बात का भी द्योतक है कि मनुष्य के जीवन में ऐसी घटनाएं अवश्य होंगी। 1. जीवन रेखा 2. जीवन रेखा का निकास बृहस्पति से 3. जीवन रेखा का निकास मंगल से। 4. जीवन रेखा का अन्त चन्द्रमा की ओर
जीवन रेखा में त्रिकोण 6. जीवन रेखा से नीचे की ओर रोमांच 7. जीवन रेखा से ऊपर की ओर रोमांच 8. जीवन रेखा के साथ कुठार रेखा
छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा को अन्दर अर्थात् चित्र-34 मंगल या शुक्र की ओर से आकर काटती या छूती हों तो व्यक्ति को अधिक जिम्मेदारी के कारण मानसिक चिन्ता रहती है। यदि ये रेखाएं गहरी हों तो परिवार वालों से दुश्मनी आदि रहती है। पतली होने से बाहर के व्यक्ति विरोध करते हैं।
जीवन रेखा लहरदार होकर शुक्र के स्थान को अधिक घेरती हो तो भी व्यक्ति को कुछ समय आराम व कामयाबी मिलती रहती है और कुछ समय असफलता का मुंह देखना पड़ता है। जब तक जीवन रेखा अच्छी नहीं हो जाती, तब तक इस प्रकार की उथल-पुथल चलती रहती है।
जीवन रेखा दोनों हाथों में समान सुन्दर हो तो यह निश्चय ही शुभ लक्षण है। दूसरी रेखाएं भी यदि सुन्दर व निर्दोष हों तो कहना ही क्या। जीवन रेखा यदि न सीधी हो और न गोलाकार तो ऐसे व्यक्ति का जीवन मध्यम श्रेणी का होता है। सन्तान अधिव नहीं होती।
जीवन रेखा दोनों हाथों में एक जैसी गोलाकार अथवा सीधी हो तो जीवन में
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