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अधिक होता है तथा कभी देनदारी और कभी धन संचय रहता है।
चारों रेखाएं लम्बी होने की दशा में जीवन साथी का कद लम्बा होता है। पत्नी साधारणतया ठीक लम्बाई की होती है तथा चारों रेखाएं मोटी होने पर जीवन साथी का कद छोटा होता है। पत्नी विशेष छोटी होती है।
सभी रेखाएं या अधिकतर रेखाएं अगर दो-दो (डबल) हों तो व्यक्ति विलम्ब से सफलता प्राप्त करता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति घर छोड़ कर बाहर नहीं जाना । चाहता, परन्तु स्थायित्व के पश्चात् लगातार सफलता मिलती है।
सभी रेखाएं नजदीक में दोहरी होना अच्छा लक्षण नहीं है। जातक को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है। सफलता तो मिलती है, परन्तु अशान्ति बनी रहती है। हाथ की बनावट का भी इस लक्षण पर अधिक प्रभाव
चित्र-33 पड़ता है।
जिस हाथ में जो भी रेखा, संख्या में दो होती हैं, उस सम्बन्ध में स्वयं तथा आने वाली सन्तान में विशेषता पाई जाती है, जैसे हृदय रेखा दो होने पर आपसी प्रेम, मस्तिष्क रेखा से काम में बौद्धिक विशेषता, दोहरी जीवन रेखा होने पर परिवार बड़ा या दीर्घायु होना तथा भाग्य रेखा दो होने पर आर्थिक स्थिति उत्तम रहती है। इसके लिए भी चित्र : 33 देखें।
तीन मुख्य रेखाएं यदि जीवन रेखा के निकास के स्थान पर मिलें तो व्यक्ति के उत्तरार्द्ध अर्थात् 50 वर्ष की आयु के आस-पास प्रायः दुर्घटना, कलेश, अशान्ति व हानि होती है। जीवन भर व्यक्ति को इसका दु:ख रहता है। यह हाथ में बहुत ही खराब लक्षण होता है। जो व्यक्ति दिवालिया होते हैं, उनके हाथ में प्रायः यह लक्षण पाया जाता है। एक हाथ में यह योग होने पर इसका फल गम्भीर न होकर साधारण होता है। यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग हो तो भी फल में आधी कमी हो जाती है। दोनों हाथों में उपरोक्त योग होने पर यदि जीवन रेखा अधूरी है तो इसका भयंकर परिणाम सामने आता है। ऐसे व्यक्ति को कन्धे या हंसली की हड्डी में चोट लगती है या अन्य दोष रहता है।
__ हाथ जितना भारी, सुन्दर, मांसल, कोमल, उंगलियां जितनी पतली व छोटी होती है, उतना ही हाथ में बुरी रेखाओं का प्रभाव कम होता है। अंगूठा जितना लम्बा होता है, उतना ही व्यक्ति बुद्धिमान, बुद्धिजीवी व सन्तुलित मस्तिष्क का होता है तथा जातक जीवन में आने वाली समस्याओं का सफलता पूर्वक मुकाबला करने में समर्थ होता
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