________________
कहने का तात्पर्य यह है कि मस्तिष्क पर अधिक जोर दिए बिना ही व्यक्ति को समुचित लाभ प्राप्त होता रहता है। ___ हृदय रेखा यदि आयु से पहले पूर्ण हो तो व्यक्ति को गृहस्थ सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनकी सन्तान इन्हें उतना सहयोग नहीं देती, जितना कि इन्हें मिलना चाहिए या ये आशा करते हैं। सन्तान के स्वभाव, परिस्थितियों, धन आदि के विषय में व्यक्ति को लम्बे समय तक चिन्ता रहती है।
भाग्य रेखा समय से पहले समाप्त हो तो व्यक्ति को धन सम्बन्धी चिन्तन चलता रहता है। हाथ अच्छा होने पर या तो बड़ा परिवार होने के कारण खर्च ज्यादा रहता है या किसी कार्य अथवा सम्पत्ति में व्यय के कारण धन के विषय में थोड़ा-बहुत विचार चलता रहता है। हाथ अच्छा न होने पर व्यक्ति के आय के साधन समाप्त हो जाते हैं और उसे दूसरों की ओर देखना पड़ता है। अपूर्ण भाग्य रेखा के विषय में यह सोचना आवश्यक है कि यह हृदय रेखा पर मिलने से पहले ही समाप्त हो जाती है या हृदय रेखा से थोड़ा आगे चलकर या भाग्य रेखा समाप्त होने की आयु के पश्चात् कोई दूसरी भाग्य रेखा निकल कर आगे तो नहीं चलती है। (चित्र-32)
यदि कोई दूसरी भाग्य रेखा समाप्ति के पश्चात् आगे जाती हो तो काम बदलकर या किसी अन्य साधन से व्यक्ति को आय होती रहती है। जिस हाथ में बहुत सी रेखाओं का जाल-सा बिछा रहता है, वह मनुष्य स्नायु या शरीर से कमजोर रहता है और अधिक श्रम नहीं कर सकता तथा निरर्थक चिन्तन में लगा रहता है। यदि हाथ में अधिक रेखाएं न हों तो मनुष्य परिश्रम से थकता नहीं, परन्तु मुख्य रेखाएं छोड़कर रेखाओं का बिल्कुल न होना आलस्य की निशानी है।
रेखाओं के विषय में कुछ अन्य बातें
रखाएं जितनी अधिक सुडौल और पतली होती हैं, व्यक्ति उतना ही भाग्यवान होता है। रेखाएं साधारण तथा मोटी होने पर व्यक्ति का जीवन देर से बनता है और उसके स्वभाव में भी कई प्रकार की अपूर्णतायें पाई जाती हैं। मस्तिष्क, हृदय व जीवन रेखा में से दो रेखाएं, यदि किसी एक ही आयु (स्थान) पर टूटी हो तो यह योग महान संकट या मृत्यु का द्योतक होता है।
किसी एक रेखा की समाप्ति की आयु पर व्यक्ति को विशेष असुविधा तथा कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जैसे भाग्य रेखा एकदम समाप्त होने पर व्यक्ति का मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं रहता। इस आयु में कार्य में रुकावट होती है, मन में अनिश्चितता व निराशा का वातावरण बना रहता है व दाम्पत्य जीवन में विघ्न आता है, कार्य में रूचि नहीं रहती। यह स्थिति कुछ समय बाद स्वतः ही दूर हो जाती है।
चारों मुख्य रेखाओं में द्वीप होने की दशा में व्यक्ति का जीवन आराम से व्यतीत नहीं होता। हाथ बड़ा या भारी होने पर जीवनयापन होता रहता है, परन्तु कठिनाईयां
102
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org