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लक्षण है। पुरुषों को धन और स्त्रियों को सन्तान का योग उस समय कहा जा सकता
मणिबन्ध
कलाई में एक से लेकर चार-पांच तक की संख्या में रेखाएं होती हैं। इन्हें मणिबन्ध कहते हैं। ये रेखाएं जितनी स्पष्ट होती हैं, व्यक्ति उतना ही भाग्यशाली होता है। तीन मणिबन्ध स्पष्ट व पूर्ण देखने में आते हों तो जातक योगी या उत्तम साधक होते हैं।
मणिबन्ध पर बड़े द्वीप के साथ जीवन रेखा सीधी हो तो पितदोष का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति का वंश नहीं चलता। उनको या उनके भाई-बहिन को भी वंश दोष रहता है, सम्भव है, सभी को ऐसा हो। हाथ में विशेष दोषपूर्ण लक्षण होने पर वंश समाप्त हो जाता है।
कई बार मणिबन्ध मुड़ कर हथेली के ऊपर चन्द्रमा के पास आता है और इससे एक त्रिकोण जैसी आकृति बनती है। यह भी वंश दोष का निश्चित लक्षण है।
चित्र-31 मणिबंध रेखाएं
हाथ में दो प्रकार की रेखाएं पाई जाती हैं। 1. मुख्य रेखाएं। 2. गौण रेखाएं।
मुख्य रेखाओं में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा, भाग्य रेखा, स्वास्थ्य रेखा (जिसे अन्तर्ज्ञान रेखा भी कहते हैं) होती हैं।
गौण रेखाओं में सूर्य रेखा, मंगल रेखा, चन्द्र रेखा, विलासकीय रेखा आदि रेखाएं होती हैं।
इन रेखाओं के अतिरिक्त मुख्य रेखाएं किसी ग्रह विशेष को घेरे हुए लगती हैं, उन्हें हम मुद्रिकाएं कहते हैं। हाथ में अभी तक तीन मुद्रिकाएं विशेष रूप से देखी गई हैं। पहली बृहस्पति मुद्रिका, दूसरी सूर्य मुद्रिका और तीसरी शनि मुद्रिका उल्लेखनीय
उपरोक्त रेखाओं के अतिरिक्त हाथ में मणिबन्ध होते हैं। यह रेखाएं कलाई और
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