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क्रास या गुणा (x) का चिन्ह ।
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जब दो रेखाएं एक दूसरे को काटती हैं तो गुणा का चिन्ह बनता है। यही चिन्ह गुणा कहलाता है। यह अनिष्ट सूचक है और स्वतन्त्र होने पर अधिक बुरा फल करता
बृहस्पति पर गुणा का चिन्ह सिर में चोट व ससुराल अच्छी मिलने का योग है। सूर्य पर हो तो बदनामी का कारण होता है।
बुध पर गुणा होने पर व्यक्ति झूठा, बेईमान व चालबाज होता है। बुध की उंगली के हथेली के साथ वाले पोर पर यह चिन्ह होने पर षड़यन्त्र करने वाला होता है और अन्तिम पोर पर यह अविवाहित रहने का संकेत है।
अंगूठे के पास वाले मंगल पर गुणा का चिन्ह बवासीर का लक्षण है। मस्तिष्क रेखा पर शनि के नीचे होने पर ऐसा निश्चित रूप से कहा जा सकता है। स्त्रियों के हाथों में यह चिन्ह होने पर बवासीर की शिकायत इन्हें प्रजनन समय में होती है। ऐसी स्त्रियों के दांतों में भी कोई न कोई रोग होता है और दांत गिरना, पायरिया, दांत टूटना आदि दोष देखे जाते हैं।
शुक्र पर गुणा का चिन्ह प्रायः प्रेम सम्बन्धों का लक्षण है। मंगल पर गुणा का चिन्ह होने पर मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो, स्मृति में दोष की सम्भावना रहती
हृदय व मस्तिष्क रेखा के बीच में गुणा का चिन्ह धनी होने का लक्षण है। यदि यह बिल्कुल ही स्वतन्त्र अर्थात् दोनों ओर किसी रेखा को न छूता हो तो व्यक्ति में अन्तर्ज्ञान क्षमता का लक्षण है। यह ज्योतिषी होने का प्रमुख लक्षण है।
चन्द्रमा पर गुणा का चिन्ह, पानी में डुबने का भय और गठिया रोग की सम्भावना उत्पन्न करता है। अन्य रेखाओं के काटने पर भी चन्द्रमा पर कोई क्रास बनता हो तो भी पानी में डूबने का भय रहता है। अतः सावधान रहने की चेतावनी देनी चाहिए।
विवाह रेखा में गुणा का चिन्ह होने पर पति-पत्नि में से एक की मृत्यु हो जाती है। हृदय रेखा में सूर्य के नीचे गुणा का चिन्ह होने पर आंख पर चोट लगती है और किसी प्रेमी से विछोह होता है। हृदय रेखा पर शनि के नीचे गुणा का चिन्ह होने पर गुर्दे या हार्निया का रोग होता है और अण्डकोष में चोट लगती है। ऐसी स्त्रियों को प्रजनन में कष्ट होता है।
किसी भी मुख्य रेखा में गुणा का चिन्ह होना अशुभ सूचक है। इससे उस आयु में स्वास्थ्य, धन या मानसिक कठिनाई उपस्थित होती हैं। जीवन रेखा में होने पर स्वयं
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