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मस्तिष्क रेखा में बुध के नीचे त्रिकोण लाभ के बदले हानि करता है। ऐसे व्यक्ति को सांस फूलने का रोग होता है (देखें चित्र - 29 ) । भाग्य रेखा के आरम्भ में पाये जाने वाला त्रिकोण भी बचपन में माता-पिता में से किसी एक का वियोग करा देता है । इसी त्रिकोण की कोई शाखा लम्बी होकर चन्द्रमा की ओर जाती है तो परिवार या मामा के वंश में किसी की हत्या या असामयिक मृत्यु होती है। वास्तव में य त्रिकोण के आकार का द्वीप होता है। जैसा कि चित्र - 28 में दिखाया गया है। '
जीवन मस्तिष्क व हृदय रेखा को भाग्य रेखा, बुध या सूर्य रेखा काटती हैं। इस प्रकार भी त्रिकोणों का निर्माण होता है, जैसा कि चित्र - 30 में दिखाया गया है । इस प्रकार दस त्रिकोण बनते हैं। इन त्रिकोणों का भी हाथ में महत्व है और भाग्य व व्यक्ति के मन पर इनका प्रभाव होता है। इसका फल निम्न प्रकार होता है - ऐसे त्रिकोण निर्दोष होने पर उत्तम व सफल होने का लक्षण है। दोषपूर्ण होने पर भी ये त्रिकोण झंझटों से रक्षा करते हैं।
चित्र: 29
1. ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान, राजनीतिज्ञ, धनी व व्यापारी प्रवृत्ति के होते हैं । (चित्र - 30 में अ)।
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2. यह त्रिकोण व्यक्ति को वैभवशाली बनाता है | कटा-फटा होने पर भी झंझटों को कम करता है। और निर्दोष होने पर सार्वजनिक क्षेत्र में सफलता व प्रतिष्ठा का द्योतक है। (चित्र - 30 - ब ) |
3. यह त्रिकोण हाथ में होने पर सम्पत्ति, सवारी व परिवार का सुख प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों को विरोधियों से कोई हानि या अपने कार्य में विघ्न उपस्थित नहीं होता। कटा-फटा होने की दशा में इनको
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चित्र: 30
धन, मित्र व परिवार की ओर से चिन्ता रहती है और ऋण के कारण जायदाद बेचना व गिरवी रखना आदि कार्य भी करने पड़ते हैं। रेखाएं निर्दोष और हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा के बीच का भाग स्पष्ट अर्थात् कम रेखाओं वाला हो तो व्यक्ति धनी व मान्य होते हैं। (चित्र - 30 में से)।
4. ऐसे व्यक्तियों में व्यापार सम्बन्धी स्वाभाविक ज्ञान होता है। ये बोलने में
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