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के भी ये क्रांतिकारी होते हैं। किसी से प्रेम या आस्था होने पर दूसरे सभी चाहे बुरा कहें, अपने मुंह से उसे उस समय तक बुरा नहीं कहते जब तक स्वयं उसकी कोई बुराई आंखों से देख न लें या उनके अनुभव में उसके दुर्गुण न आ जाएं। स्वयं देखने पर धीरे-धीरे सम्बन्ध समाप्त कर देते हैं। ऐसे व्यक्तियों में सहनशीलता व स्पष्टवादिता दोनों की ही हद होती है। रेखाओं में दोष न होने पर ये बहुत सफल होते हैं। इस प्रकार के अंगूठे के साथ यदि मस्तिष्क रेखा मंगल पर जाती हो तो कठोर होते हैं। यदि यह रेखा चन्द्रमा पर जाती हो तो भाव-विह्वल, महामानव और एकान्त प्रिय होते
अंगूठा कम खुलने वाला
ऐसा अंगूठा हथेली के साथ प्रायः 30° या 45° के लगभग कोण बनाने वाला होता है। 90° से कम खुलने वाला अंगूठा, कम खुलने वाला ही माना जाता है। अंगूठे का कम खुलना भी एक दोषपूर्ण लक्षण है। अंगूठा कम खुलने की दशा में व्यक्ति देर से सफल होता है। वास्तव में अंगूठे के कम खुलने पर हाथ के मूल्य पर प्रभाव पड़ता है। कितना भी अच्छा हाथ हो, अंगूठा कम खुलने पर उसके अच्छे गुणों का प्रभाव देर से होता है। अतः अंगूठा कम खुलना हाथ के मूल्य में हानि करता है। हाथ के दोषपूर्ण लक्षण व रोग-सम्बन्धी निर्देश भी अंगूठा कम खुलने की दशा में अधिक प्रभावशाली होते हैं अर्थात् हाथ में थोड़ा भी दोष होने पर उनका प्रभाव अनुमान से अधिक हो जाता है।
ऐसे व्यक्ति सीधे, छलहीन, विश्वास करने वाले, दूसरों पर निर्भर करने वाले, मिजाज के सख्त व क्रोधी और स्पष्टवक्ता होते हैं। इनके प्रत्येक कार्य में रुकावट पड़ती है। एक स्थान पर भी ऐसे व्यक्ति नहीं रह सकते। इनकी पढ़ाई में भी रुकावट पड़ती है। होता सब इनके अपने गुणों के कारण ही है। इन व्यक्तियों को स्थायित्व देर से प्राप्त होता है। देखा जाता है कि ये 30 वर्ष की आयु के पश्चात् ही उन्नति करते हैं क्योंकि ये थोड़ी-सी बात पर ही अधिक अपमान महसूस
चित्र:8 करने वाले होते हैं और काम बदलते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों की अपने जीवन साथी से कम बनती है, अत: गृहस्थ जीवन भी शान्तिपूर्ण नहीं रहता। बच्चों का स्वास्थ्य भी बचपन में ठीक नहीं रहता। बच्चे भी क्रोधी व जिद्दी होते हैं और सभी बच्चे
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