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प्रथम उंगली लम्बी
अंगूठे के पास की प्रथम उंगली तर्जनी, या बृहस्पति की उंगली कहलाती है। इसके छोटे-बड़े का ज्ञान करने के लिए इसकी तुलना सूर्य की अर्थात् तीसरी उंगली से की जाती है। सूर्य की उंगली बड़ी होने पर यह बड़ी और छोटी होने पर छोटी मानी जाती है। सूर्य की उंगली से आधा इंच या पौन इन्च छोटी होने पर ही यह छोटी मानी जाती है।
बृहस्पति की उंगली या प्रथम उंगली सूर्य की उंगली से लम्बी होने पर व्यक्ति में उदारता, सात्विकता, उत्तरदायित्व तथा महत्वाकांक्षा आदि गुण पाये जाते हैं। किए हुए कार्यों का भी इनको श्रेय मिलता है और यश प्राप्त करते हैं। ये सात्विक तथा उत्तम कार्य करने वाले होते हैं। हाथ भारी, मांसल, गुलाबी अर्थात् उत्तम प्रकार का होने पर समाज में उत्तम स्थान ग्रहण करते हैं। इनकी सन्तान भी विशेष योग्य होती है। इनका कोई बच्चा मंत्री या इस प्रकार का पद ग्रहण करता है। नहीं तो समाज में किसी न किसी रूप में विशेष सम्मान तो प्राप्त करता ही है। बृहस्पति की उंगली लम्बी होने पर व्यक्ति धार्मिक व व्यवहारिक होते हैं। ये कोई भी अनैतिक कार्य नहीं करते, ये नहीं चाहते कि कोई भी इनके किए हुए कार्य पर टीका-टिप्पणी करे। अतः बृहस्पति की उंगली लम्बी होना एक विशेष उत्तम गुण है। इनको जीवन साथी का पूर्ण सुख प्राप्त होता है। उसकी आदत व स्वभाव भी ठीक होता है।
प्रथम उंगली छोटी
बृहस्पति की उंगली या प्रथम उंगली सूर्य की उंगली से छोटी होने पर अधिक खराब होती है। पतले या दोषपूर्ण हाथ में बृहस्पति की उंगली अधिक छोटी होने पर व्यक्ति अनैतिक कार्य करने वाले तथा सम्मानहीन होते हैं। दुराचारी, चोर, लफंगे व बदमाश व्यक्तियों के हाथ में बृहस्पति की उंगली अधिक छोटी होती है। छोटी से तात्पर्य है, इसका शनि की उंगली के ऊपर के (अन्तिम) पोर के आसपास होना है। जब उंगलियां आपस में सटी हुई हों, समाज में दूषित कर्म करने वालों के हाथों में ऐसे लक्षण होते हैं।
प्रथम उंगली छोटी होने पर व्यक्ति साधारणतया स्पष्टवक्ता व क्रोधी होते हैं। विशेष छोटी होने पर अधिक दयालु व उदार होते हैं, परन्तु ये किसी से भलाई नहीं पाते। इनके कार्य की आलोचना की जाती है। इनके साथ बैठने वाले भी इनकी आलोचना करते हैं, जिसका कारण व्यक्ति का अधिक स्पष्टवादी होता है। घर के झगड़ों के कारण ऐसे व्यक्ति अक्सर साधु बन जाते हैं। इनके घर में झगड़े का मुख्य कारण स्त्रियां होती हैं।
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