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उस समय गंधसमृद्ध नगर के राजा गंधारपिंगल ने अपनी पुत्री प्रभावती के वर के लिए किसी विद्या को पूछा। उस विद्या ने वसुदेव का नाम दिया। इसलिए उसने वसुदेव को लाने के लिए भगीरथी नाम की धात्री को भेजा। उस धात्री ने विद्याबल से मुष्टिक आदि के पास से बलपूर्वक वसुदेव को गंधसमृद्ध नगर में ले गई। वहाँ वसुदेव ने प्रभावती से विवाह किया। उसके साथ क्रीड़ा करते हुए सुखपूर्वक रहने लगे। इस प्रकार अन्य बहुत सी विद्याधर स्त्रियों के साथ विवाह करके अंत में सुकौशला से विवाह कर उसके महल में रह कर निर्विघ्न विषयों को भोगने लगे।
(गा. 584 से 589)
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त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व)