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आपकी आज्ञा मानता नहीं है। उसके लक्ष्मणा नाम की एक कन्या है, वह लक्षणों से आपके ही योग्य है। वह द्रुमसेन सेनापति के रक्षण में अभी समुद्र में स्नान करने आई है। वह वहाँ सात दिन रहकर स्नान करेगी।
(गा. 87 से 89) __ इस प्रकार सुनकर कृष्ण बलराम के साथ वहाँ गये, और इस सेनापति को मारकर लक्ष्मणा को ले आये। लक्ष्मणा को परण कर जांबवती के महल के पास ही एक रत्नमय मंदिर रहने को दिया और अन्य परिवार भी दिया।
(गा. 90 से 91) आयुटरवरी नाम की नगरी में सौराष्ट्र देश का राजा राष्ट्रवर्धन राज्य करता था। उसके विजया नाम की रानी थी। उनके नमुचि नामक एक महाबलवान युवराज पुत्र था, और सुसीमा नाम की रूपसंपति की सीमा रूप पुत्री थी। नमुचिने अस्त्रविद्या सिद्ध की थी वह कृष्ण की आज्ञा मानता नहीं था। एक बार वह सुसीमा के साथ प्रभास तीर्थ में स्नान करने हेतु गया। वहाँ छावनी डालकर रहे हुए नमुचि का ज्ञात होने पर कृष्ण बलराम के साथ वहाँ गये और उसे सेना सहित मारकर सुसीमा को ले आये फिर उससे विधिपूर्वक विवाह करके लक्ष्मणा के मंदिर के पास मंदिर देकर उसमें रखा और बड़ी सामग्री दी। राजा राष्ट्रवर्धन ने सुसीमा के लिए दासियाँ आदि परिवार और कृष्ण के लिए हाथी आदि विवाह का दहेज भेजा। फिर मरूदेश के वीतभय राजा की गौरी नाम की कन्या से कृष्ण ने विवाह किया उसे सुसीमा के मंदिर के पास एक मंदिर में रखा। एक बार हिरण्यनाम के राजा की पुत्री पद्मावती के स्वंयवर में कृष्ण राम को लेकर अरिष्टपुर गये। वहाँ रोहिणी बलभद्र की माता के सहोदर हरिण्यनाम ने अपना भानजा जानकर दोनों का विधि सहित हर्ष से पूजा की।
(गा. 92 से 100) उन हिरण्य नामक राजा के रैवत नाम का एक ज्येष्ठ बंधु था। वह नेमि भगवान के तीर्थ में अपने पिता के साथ दीक्षा लेकर चल पड़ा था। उनके रेवती, रामा सीता और बंधुमती नाम की पुत्रियाँ थीं। वे पहले रोहिणी के पुत्र बलराम को दी थी। वहाँ सर्व राजाओं को देखते हुए कृष्ण ने पद्मावती का हरण किया। स्वंयवर में आए सर्व राजाओं में से जो युद्ध करने आए उनको जीत लिया। त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व)
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