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कुंडिनपुर में भीष्म नाम के राजा थे, उनकी यशोमती नाम की रानी थी। उनके रूक्मिी नामक पुत्र और रूक्मिणी नाम की अत्यंत स्वरूपवान पुत्री थी । नारद वहाँ गये तब रूक्मिणी ने उनको नमस्कार किया। नारद ने कहा कि यह संबोधन समझ में नहीं आया पुत्री कृष्ण तेरे पति होंगे। रूक्मिणी ने पूछा कि ये कृष्ण कौन है? तब नारद ने कृष्ण के रूप सौभाग्य शौर्य आदि अद्वैत गुणों को कह सुनाया। यह सुन रूक्मिणी कृष्ण पर अनुरागी हुई और काम पीड़ित होकर कृष्ण को ही चाहने लगी । इधर रूक्मिणी का रूप चित्रपट पर आलेखित करके नारद कृष्ण के पास द्वारिका में आए और दृष्टि को अमृतांजन जैसा वह रूप कृष्ण को बताया । वह देखकर कृष्ण ने पूछा कि भगवन् ! यह किस देवी का रूप आपने पट में आलेखित किया है ? नारद हंसकर बोले- हरि ! यह देवी नहीं है। परंतु मानुषी स्त्री है और कुंडिनपति भीष्मक राजा की रूक्मिणी नामक पुत्री है। रूक्मी नामक उसका भाई है। उसका रूप देख विस्मित हुए कृष्ण ने तत्क्षण रूक्मि के पास एक दूत भेजकर प्रिय वचनों से उसकी मांग की। उसकी माँग सुनकर रूक्मी ने हँसकर कहा, अहो ! कृष्ण हीनकुल वाला गोप होकर मेरी बहन की माँग करता है ? वह कैसा मूढ है ? और उसका यह कैसा निष्फल मनोरथ ? इस मेरी बहन को तो मैथुनिक शिशुपाल राजा को दूँगा कि जिससे चंद्र और रोहिणी जैसा उनका अनुकूल योग होगा । इस प्रकार का उत्तर सुनकर दूत ने रूक्मी की कठोर शब्दों वाली उक्ति द्वारका में आकर कृष्ण को सुनाई ।
(गा. 12 से 21 )
इधर कुंडिनपुर में यह समाचार सुनकर रूक्मिणी की बुआ जो कि उसकी धात्री भी थी, उसे एंकात में ले जाकर रूक्मिणी को प्रेम पवित्र वाणी से बोली कि हे राजकुमारी! जब तुम बालिका थी तब एक बार मेरे उत्संग में बैठी थी, इतनें में तुमको देखकर अतिमुक्त नाम के मुनि ने कहा था कि यह पुत्री कृष्ण की पटरानी होगी। उस समय मैंने उनको पूछा था कि उन कृष्ण को किस प्रकार पहचानना ? तब उन्होंने कहा था कि जो पश्चिम सागर के किनारे पर द्वारका बसाकर रहे उसे कृष्ण जान लेना । आज उन कृष्ण ने दूत द्वारा तुम्हारी माँग की तो भी तुम्हारे भाई रूक्मि ने उसकी माँग को स्वीकारा नहीं और दमघोष के पुत्र शिशुपाल को तुमको देने का निर्णय किया है। रूक्मिणी बोली– हे माता! क्या मुनियों के वचन निष्फल होते हैं, प्रातः काल के मेघ का गर्जारव शब्द क्या कभी निष्फल हुआ है ? इस प्रकार के वचनों से रूक्मिणी का अभिलाष
राजा
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व )
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