________________
इस प्रकार वसुदेव को कनकवती के पूर्वभव की कथा कहकर कुबेर अंतर्ध्यान हो गया। सौभाग्यवंत में शिरोमणि और अद्वितीय रूपवान वसुदेव चिरकाल के अतिशय अनुराग के योग से कनकवती से विवाह कर अनेक खेचरियों के साथ क्रीड़ा करने लगे।
(गा. 1076 से 1077)
144
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व)