Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 4
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्वार्यचिन्तामणिः
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तो विरुद्ध है । इसका अर्थ यो है कि जो दूसरोंके पक्षपातसे आक्रान्त दर्शन में प्रसिद्ध हो रहे गोव, महिषत्व आदि नित्य सामान्यों करके हेतुका व्यभिचार उठा रहा है, वह उसका उत्तर विरुद्ध समझ लेना चाहिये | किसी मळे ममुष्यने बौद्धोंके प्रति यों कहा कि शब्द ( पक्ष ) अनित्य है ( साध्य ), ऐन्द्रियकपना होनेसे ( हेतु ) घटके समान ( दृष्टान्त ) यों कह चुकनेपर नैयायिकों के यहां प्रसिद्ध हो रहे गोत्व आदि सामान्य करके ऐन्द्रियकत्व हेतुके व्यभिचारीपनकी कुतर्कणा उठाना तो नियमसे बौद्धोंका विरुद्ध उत्तर है । क्योंकि बौद्धोंको इससे अनिष्टकी सिद्धि हो जावेगी । बौद्धजन घटके समान सामान्यको मी अनित्य माननेके लिये संनद्ध हैं । अब आचार्य कहते हैं कि इस प्रकार उद्योतकरका वह कहना भी विचार करनेमें योग्य नहीं ठहरता है । इस बातको ग्रन्थकार स्पष्ट कर कहते हैं ।
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गोत्वादिना स्वसिद्धेन यानैकांतिकचोदना । परपक्षविरुद्धं स्यादुचरं तदिहेत्यपि ॥ १६२ ॥ न प्रतिज्ञाविरोधेंतर्भावमेति कथंचन ।
स्वयं तु साधिते सम्यग्गोत्वादो दोष एव सः ॥ १६३ ॥ निराकृतौ परेणास्यानैकांतिकसमानता ।
हेतोरेव भवेचावत् संधादोषस्तु नेष्यते ॥ १६४ ॥
बैलपना, सिंहत्व, आदिक जातियां स्वकीय पक्षके अनुसार बौद्धोंके यहां अनित्यं मानी जा रही हैं । अतः अपने यहां सिद्ध हो रहे गोत्व आदिक करके जो व्यभिचारीपनका चोच उठाया जायगा वह उत्तर भी तो यहां दूसरोंके पक्षसे विरुद्ध पडेगा, अतः वह व्यभिचार दोष किसी भी प्रकारसे प्रतिज्ञा बिरोधनामक निग्रहस्थान में अन्तर्भावको प्राप्त नहीं हो सकता है। हां, स्वयं अपने यहां मले प्रकार गोत्व, अश्त्रत्व, आदिके साध चुकनेपर तो वह दोष ही है । किन्तु दूसरे प्रतिवादी करके इस वादीके पक्षका निराकरण कर देनेपर वह हेतुका ही अनैकान्तिक हेत्वाभासपना दोष होगा । फिर प्रतिज्ञाका तो दोष वह कथमपि नहीं माना जा सकता है ।
यदप्यभाणि तेन, स्वपक्षानपेक्षं च तथा यः स्वस्वपक्षांनपेक्षं हेतुं प्रयुंक्ते अनित्यः शद्र ऐंद्रियकत्वादिति स स्वसिद्धस्य गोत्वादेरनित्यत्वविरोधाद्विरुद्ध इति । तदप्यपेशतमित्याह ।
और भी जो उस उद्योतकर महाशयने कहा था कि " स्वपक्षानपेक्षं है कि था जो नैयायिक अपने निजपक्षकी नहीं अपेक्षा रखनेवाले हेतुका
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च "
इसका अर्थ यह प्रयोग करता है, जैसे