Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 4
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्वार्य चिन्तामणिः
विकल्पकी उपपत्तिसे वचनविघात कर देना छल है । और वह छल सामान्यसे लक्षण करनेपर कैसे मी उदाहरण करने योग्य नहीं है । सामान्य गाव दूध नहीं दे सकती है। हां, विभाग करके कह दिये गये उस छलके उदाहरण दिखलाये जा सकते हैं । और वह विभाग तो अक्षपाद गौतमके यहां तीन प्रकार माना गया है । इस प्रकार गौतमसूत्रमें कहा गया । "तत् त्रिविधं वाक्छळं सामान्यछळमुपचारछलं च" इस कथनसे वाक्, सामान्य, उपचार इन भेदोंमें तीन प्रकारके छोंका ही वर्णन किया गया है । वाक् छळ, सामान्य छल और उपचार छळ, इस प्रकार छकके तीन विमागहें।
तत्र किं वाक्छलमित्याह।
उन तीन छलोंमें पहिला वाक्छळ क्या है ! इस प्रकार जिज्ञासा होनेपर श्री विद्यानन्द आचार्य नैयायियोंका अनुवाद करते हुये वाक्छलका लक्षण कहते हैं।
तत्राविशेषदिष्टेथे वक्तुराकूततोन्यथा । कल्पनार्थांतरस्येष्टं वाक्छलं छलवादिभिः ॥ २७९ ॥
" अविशेषाभिहितेऽर्थे वक्तुरभिप्रायादर्थान्तरकल्पना वाक्छ ” अविशेष रूपसे वक्ता द्वारा कहे गये अर्थमें वक्ताके अभिप्रायसे दूसरे अर्थान्तरकी कल्पना करना और कल्पना कर उस दूसरे अर्थका असम्भव दिखा कर निषेध करना छळवादी नैयायिकों करके छलका लक्षण स्थित किया है। जिनका स्वभाव छलपूर्वक कथन करनेका हो गया है, उनको इस प्रकार छळका लक्षण करना शोमता है।
तेषामविशेषेण दिष्टे अभिहितेथै वक्तुराकूतादभिमायादन्यथा स्वाभिप्रायेणार्थातरस्य कल्पनमारोपणं वाक्छलमिष्टं तेषामविशेषाभिहितेषु वक्तुरभिमायादतिरकल्पना वाक्छकं इति वचनात् ।
___सामान्यरूपसे अमिहित यानी कथित किये गये अर्थमें वक्ताके आकूत यानी अभिप्रायसे अपने अभिप्राय करके दूसरे प्रकार अर्थान्तरकी कल्पना करना अर्थात-वक्ताके ऊपर विपरीत आरोप धर देना उन नैयायिकोंके यहां वाक्छल अभीष्ट किया गया है। उनके यहां गौतमसूत्रमें इस प्रकार कहा गया है कि विशेषरूपोंको उठाकर किये जाने योग्य बाक्षेपोंके निराकरणकी नहीं अपेक्षा करके सामान्यरूपसे वचन व्यवहारमें प्रसिद्ध हो रहे अर्थके वादीद्वारा कह चुकनेपर यदि प्रतिवादी वक्ता वादीके अभिप्रायसे अन्य अर्थोकी कल्पना कर प्रत्यबस्थान देता है तो प्रतिवादीका वाक्छल है । अतः वादी करके प्रतिवादीका पराजय हो जाता है । क्योंकि लोकमें सामान्यरूपसे प्रयोग किये गये शब्द अपने अभीष्ट विशेष अर्थोको कह देते हैं, जैसे कि छिरियाको गांव के जालो, घीको लामो, बामणको खबानो, शाबको पढो, माजकल