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प्रेम को सम्हाल लो, सब सम्हल जाएगा
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हम साधारणतः जीवन में करीब लोगों को आने नहीं देते। क्योंकि करीब का मतलब है दूसरे के हाथों में अपने को छोड़ना ।
पश्चिम में वैज्ञानिकों ने अभी नयी-नयी एक खोज की है, उसको वे टेरीटोरियल इम्पेरेटिव कहते हैं। वे कहते हैं, हर पशु अपने आस-पास एक सुरक्षित क्षेत्र बना लेता है, जिसके भीतर किसी को प्रवेश नहीं करने देता। तुम भी गौर कर सकते हो। एक बंदर बैठा हो, तुम धीरे-धीरे उसके पास जाना शुरू करो, बहुत धीरे। एक सीमा तक वह बिलकुल बेपरवाह रहेगा। समझो तुम दस फीट करीब आ गए, वह बेपरवाह है, उसे कोई मतलब नहीं तुमसे । लेकिन दस फीट के भीतर तुमने एक कदम रखा कि वह सजग हो जाएगा : अब खतरा है। तुम इतने करीब आ रहे हो; कौन जाने, दोस्त हो कि दुश्मन हो । वैज्ञानिक कहते हैं, हर पशु की सीमा रेखा है। उसके भीतर आने पर वह सजग हो जाता है और लड़ने को तत्पर हो जाता है।
वैसी ही सीमा रेखा मनुष्य की भी है। समझो, एक स्त्री रास्ते पर खड़ी है। तुम उसके पास जाते हो । एक सीमा तक वह कोई फिक्र न लेगी। समझो कि तुम पांच फीट दूर हो, वह कोई फिक्र नहीं कर रही। लेकिन तुम तीन फीट दूर आ गए, अचानक वह सजग हो जाती है। अब वह तैयार है। अब तुम उसकी सीमा रेखा के भीतर आ रहे हो, जहां खतरा हो सकता है, जहां डर है। एक स्त्री को तुम देखते रहो; वैज्ञानिक कहते हैं कि तीन सेकेंड तक वह बेचैन नहीं होती, तीन सेकेंड के बाद तुमको वह लुच्चा समझेगी। तीन सेकेंड सीमा रेखा है। इतनी देर तक ठीक है । जीवन में देखना इतना तो होगा। लेकिन तीन सेकेंड के बाद अब तुम सीमा के बाहर जा रहे हो, अब तुम सज्जनता की, शिष्टाचार की, सभ्यता की सीमा तोड़ रहे हो ।
लुच्चा का मतलब तुम जानते हो ? मतलब होता है: घूर कर देखने वाला। और कोई मतलब नहीं होता। लुच्चा शब्द का ही मतलब होता है : घूर कर देखना । लुच्चा शब्द आता है लोचन से, आंख से। उसी से आता है आलोचक; वह भी घूर घूर कर देखता है। तो लुच्चा और आलोचक में कोई बहुत फर्क नहीं है। शब्द की दृष्टि से दोनों एक ही धातु से आते हैं। कब आदमी लुच्चा हो जाता है, एक सीमा है।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है बड़े गौर से । तो वे कहते हैं कि अगर एक स्त्री तुम्हें एक बार देखे तो कोई बात नहीं; अगर लौट कर देखे तो खतरा है। तुम एक होटल में गए और एक स्त्री बैठ कर खाना खा रही है; उसने एक दफा तुम्हें देखा, यह ठीक है । एक दफा कोई भी देखता है: कौन आ रहा है? लेकिन अगर वह दुबारा देखे तो तुम सावधान हो जाना; वह तुम में उत्सुक है। खतरे की सीमा आ गई।
- इसलिए जो लोग बहुत सी स्त्रियों के साथ खेल करते रहे हों, उन्हें बहुत सी बातों का पता चल जाता है, वे बहुत से आंतरिक कोड पहचानने लगते हैं। वे उस स्त्री के पास कभी भी न जाएंगे, जिसने एक ही दफा देखा। जिसने दुबारा देखा, उस स्त्री में निमंत्रण है; उसने कुछ कहा नहीं है, लेकिन स्त्री ने निमंत्रण दे दिया है, बड़ा अनजान । शायद उसे भी पता न हो, अचेतन में निमंत्रण दे दिया है। यह स्त्री राजी है; इससे आगे संबंध बढ़ाया जा सकता है।
अगर तुम एक स्त्री के पास खड़े हो, अगर वह तुममें उत्सुक नहीं है तो उसकी कमर पीछे की तरफ झुकी रहेगी, जैसे वह तुमसे दूर होना चाहती है। लेकिन अगर वह तुममें उत्सुक है तो वह आगे की तरफ झुकी रहेगी, जैसे वह तुम्हारे पास आना चाहती हो। उसे भी पता नहीं है, लेकिन वह निमंत्रण दे रही है; वह तुम्हें कह रही है कि पास आने को मैं तैयार हूं।
खतरा है। क्योंकि जैसे ही कोई व्यक्ति पास आता है, तुम्हारे एकांत पर दूसरे का कब्जा होना शुरू हो जाता है। तुम्हारी प्राइवेसी समाप्त हुई, तुम्हारी निजता अब निजता न रही; एक दूसरा आदमी प्रविष्ट हुआ। अब तुम्हारा बुरा भी वह जान लेगा, भला भी जान लेगा। एक फासला रखना जरूरी है; तो हम भले बने रहते हैं, बुरे को हम छिपाए