________________
अभय और प्रेम जीवन के आधार ठों
उसने कहा, मुझे सब पता है। तो मैंने कहा, अगर तुम्हारे पास दो कारें हों तो क्या तुम एक उस आदमी को देना पसंद करोगे जिसके पास एक भी नहीं है? उसने कहा, निश्चित! पूर्ण रूप से निश्चित। अगर तुम्हारे पास दो मकान हों, मैंने पूछा, क्या तुम एक उसको दे दोगे जिसके पास एक भी नहीं? उसने कहा कि बिलकुल दे दूंगा, अभी दे दूंगा। फिर मैंने पूछा, और अगर तुम्हारे पास दो गधे हों तो क्या तुम एक उसको दे दोगे जिसके पास एक भी नहीं? उसने कहा, कभी नहीं। तो मैंने कहा, यह कैसा साम्यवाद? उसने कहा, मेरे पास दो गधे हैं। दो कारें तो हैं नहीं, न दो मकान हैं।
जो नहीं है, वह हम दे देंगे। और दूसरे के पास जो है वह हम छीन लेंगे।
दूसरे के पास जो है उसको छीनने का अपराधी भी उपाय करता है। उसका उपाय बड़ा छोटा है, बहुत छोटा है। उससे कुछ हल होने वाला नहीं है। दूसरे के पास जो है उसे छीनने का साम्यवादी भी उपाय करता है, लेकिन उसका उपाय बड़ा व्यवस्थित है। उसकी स्ट्रैटेजी है, उसका पूरा रणशास्त्र है। वह पहले तो विचार का प्रवाह फैलाता है। और निश्चित ही उसका विचार सभी को अपील होता है, क्योंकि ऐसा आदमी खोजना कठिन है जिसके पास सब कुछ हो। सभी के ऊपर लोग हैं जिनके पास बहुत कुछ है। और तुम उनसे छीनना चाहोगे।
इसलिए साम्यवाद की अपील है। जब भी साम्यवाद तुम्हें समझाता है कि सब संपत्ति बंट जाएगी, तब तुम कभी यह नहीं सोचते कि तुम्हारे दो गधे बंटेंगे। तुम सोचते होः पड़ोसी की दो कार बंटेंगी, दूसरे पड़ोसी के दो मकान बंटेंगे। एक मकान तुम्हें भी मिलेगा; एक कार तुम्हें भी मिलेगी। तुम सदा यह सोचते हो कि दूसरे का बंटेगा, तुम पाने वाले होओगे। तुम कभी यह नहीं सोचते कि तुम्हारे दो गधे बंटेंगे। - यही तो कठिनाई हुई। रूस में क्रांति हुई तो सारा मुल्क प्रसन्न था, क्योंकि लोगों ने सोचा था कि दूसरों का बंटेगा। लेकिन जब उनका बंटना शुरू हुआ तब बड़ी कठिनाई आई। जिसके पास चार मुर्गियां थीं, उसकी भी स्टैलिन ने बांट करने की कोशिश की। जिसके पास थोड़ी सी खेती थी उसको भी बांटने की कोशिश की। एक करोड़ लोग जो मारे गए वे अमीर नहीं थे। अमीर कहीं होते हैं एक करोड़ किसी मुल्क में? वे गरीब लोग थे जिन्होंने अपनी छोटी-छोटी संपत्ति का आग्रह किया कि हम न बंटने देंगे। इन्हीं ने क्रांति की थी।
यह बड़ा मजा है। ये ही क्रांति के जाल में पड़े थे। ये आश्वासन से भर गए। इन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि मेरे पास की दस एकड़ जमीन बंट जाएगी। इन्होंने सोचा था, बंटेगा बिड़ला, बंटेगा राकफेलर, बंटेगा कोई और; मिलेगा मुझे। ... मिलने की भाषा सिखाता है साम्यवाद।वही तो डाकू और चोर की भाषा है। उसकी अपील है। लेकिन जब बंटाव हुआ तब पता चला कि मेरा भी बंट रहा है। तब कठिनाई खड़ी हो गई। कितने अमीर हैं? दस, बीस, पचास, सौ। उनको बांटने से तुम्हारे हाथ में रत्ती भर भी नहीं आएगा। क्योंकि तुम हो करोड़ों, अरबों। लेकिन तुम्हारा बंटेगा। छोटे-छोटे किसानों ने बंटने से इनकार किया कि जब उनकी मुर्गियां जाने लगीं सामूहिक फार्म में तब उन्होंने इनकार कर दिया। जब उनकी खेती होने लगी सामूहिक तब वे लड़ने को खड़े हो गए। एक करोड़ छोटे-छोटे किसान और गरीब कटे। और फिर भी मुल्क में कोई साम्यवाद तो आया नहीं।
साम्यवाद कभी आ नहीं सकता, क्योंकि आदमी इतने भिन्न हैं। और वर्ग सदा रहेंगे। नये वर्ग खड़े हो गए। और अब इन नये वर्गों को सम्हाल रखने के लिए इतना इंतजाम करना पड़ा स्टैलिन को, हिंसा का, भय का इतना आयोजन करना पड़ा, जितना कि मनुष्य-जाति में कभी भी नहीं हुआ था। लोग अकेले में भी बात करते रूस में डरने लगे, क्योंकि दीवारों को भी कान हो गए। जरा किसी ने बात की विपरीत, और वह आदमी नदारद हो गया, फिर उसका पता ही नहीं चला कि वह कहां गया। स्टैलिन ने जितनी सुविधा से हत्या की, कभी किसी ने नहीं की।
•
229