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प्रेम को सम्हाल लो, सब सम्छल जाएगा
इस बात को थोड़ा समझने की कोशिश करो।
पहली तो बात कि अगर तुम बहुत प्रेमपूर्ण हो तो हमले की संभावना सौ में से निन्यानबे प्रतिशत समाप्त हो जाती है। अगर तुम प्रेम दे रहे हो तो दूसरे में हमले की आकांक्षा को तुम वैसे ही नष्ट कर रहे हो। लेकिन फिर भी पागल लोग हैं। बुद्ध पर भी पत्थर फेंकने वाले लोग मिल ही जाते हैं। जीसस को भी आखिर सूली पर चढ़ाने वाले लोग मिल ही गए। सुकरात को जहर देने वाले लोग थे ही।
तो तुम अगर कितने ही प्रेम से भरे हो तो भी निन्यानबे प्रतिशत ही मौका कटता है; क्योंकि दूसरी तरफ ऐसे हृदय भी हैं, तुम जितने प्रेम से भरे हो उससे ज्यादा घृणा से भरे हैं। पाषाण हृदय भी हैं। इतने रुग्ण लोग भी हैं कि तुम्हारे प्रेम के कारण ही तुम पर हमला कर देंगे। उनकी बरदाश्त के बाहर होगा कि कोई इतने प्रेम में जीए। तुम उनके लिए शत्रु मालूम पड़ोगे। निन्यानबे प्रतिशत तो तुम्हारा प्रेम ही तुम्हारे ऊपर आक्रमण की संभावना को समाप्त कर देगा। एक प्रतिशत जो आक्रमण की संभावना शेष रह जाएगी, उस क्षण में भी अगर तुम्हारा हृदय प्रेम से भरा हो, तो वही तुम्हारी सुरक्षा है, और कोई सुरक्षा नहीं हो सकती।
बुद्ध पर पागल हाथी छोड़ दिया था। बड़ी हैरानी हुई कि पागल हाथी आकर बुद्ध के सामने ठिठक कर खड़ा हो गया।
पश्चिम में एक बहुत बड़ा विचारक है : जोश देलगादो। उसने एक प्रयोग किया है सांड के साथ। उसने सांड के भीतर मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड लगा दिए थे और एक छोटे ट्रांजिस्टर रेडियो से उन भीतर लगे हुए तारों को संदेश दिया जा सकता था। - मस्तिष्क में केंद्र हैं; क्रोध का केंद्र है, घृणा का केंद्र है, प्रेम का केंद्र है, आक्रमण का केंद्र है, भय का केंद्र है; मस्तिष्क में सब केंद्र हैं। वैज्ञानिकों ने सारे केंद्र खोज लिए हैं। और उन केंद्रों पर अगर बिजली का प्रवाह डाला जाए, तो जिस केंद्र पर प्रवाह डाला जाता है वही केंद्र सक्रिय हो जाता है। तो अब ऐसा उपाय है कि तुम बिलकुल शांत बैठे हो और तुम्हारी खोपड़ी पर एक खास जगह जरा सी चोट की जाए कि तुम एकदम क्रोध से भर जाओगे, क्योंकि वहां से क्रोध का जहर तुम्हारे शरीर में फैलता है। " जोश देलगादो ने एक भयंकर सांड के भीतर इलेक्ट्रोड लगा दिए, दो इलेक्ट्रोड, एक क्रोध के ऊपर और एक
भय के ऊपर। और दो बटन का एक छोटा सा रेडियो वह अपने हाथ में लिए है। हजारों लोग देखने इकट्ठे हुए थे इस प्रयोग को, क्योंकि यह खतरनाक से खतरनाक प्रयोग सिद्ध हो सकता है। कोई सौ कदम दूर खड़ा है सांड भयंकर। एक बटन देलगादो ने दबाया-किसी को पता नहीं कि वह क्या कर रहा है अपने हाथ में उसने क्रोध का बटन दबाया। तो जैसे सांड को लाल झंडी दिखा दो और वह गुस्से में आ जाता है, वह कुछ भी नहीं है; क्योंकि भीतर जैसे ही बिजली का प्रवाह उसके क्रोध पर हुआ, सांड बिलकुल पागल हो गया। वह झपटा। अकेला एक आदमी खड़ा है उसके सामने। वह इतना विक्षिप्त भाव से भागा धुआंधार कि लाखों लोग जो देखने इकट्ठे हुए थे, उन्होंने समझा कि मारा गया यह आदमी। यह प्रयोग, यह इतना पागल सांड, इससे बचने का कोई उपाय नहीं। और देलगादो के हाथ में कोई तलवार नहीं है, कोई उपाय नहीं है। एक छोटा सा ट्रांजिस्टर रेडियो लिए है, वह भी किसी को दिखाई नहीं पड़ता, वह भी उसकी हथेली में छिपा है। लोग खड़े हो गए, सांसें रुक गईं। और ठीक दो कदम पर सांड आया और देलगादो ने उसका भय का बटन दबाया, वह वहीं ठिठक गया जैसे कि कोई भयंकर दीवाल सामने खड़ी हो गई हो। दो कदम! एक क्षण और, और उसके सींग देलगादो की छाती में घुस गए होते। वह एकदम कंपने लगा भय से।
देलगादो ने जो प्रयोग किया है वैसा प्रयोग कभी नहीं किया गया। लेकिन जिनके जीवन में प्रेम रहा है, उनके आस-पास ऐसे प्रयोग बहुत बार अपने आप हो गए हैं।
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