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श्रेष्ठता वह जो अकेली रह सके
कहीं कुछ भूल-चूक तो नहीं हो गई पढ़ने में! अभी तक लोग आए नहीं! अभी तक सिर-आंखों पर उठाया नहीं। कितनी देर हुई जाती है। जीवन खोया जा रहा है!
'किसी को उनके अनुगत की तरह बोलना चाहिए।'
इसलिए संत आदेश नहीं देते, सिर्फ उपदेश देते हैं। आदेश तो सम्राट देते हैं: उनकी मालकियत है। उपदेश का तो अर्थ होता है केवल सलाह। मानो तो ठीक, न मानो तो भी ठीक है। और संत बिना मांगे सलाह भी नहीं देते। बुद्ध का तो नियम था कि जब तक कोई तीन बार न पूछे वे जवाब न देते थे। इसलिए बुद्ध की किताबों को पढ़ना बड़ा मुश्किल हो जाता है। क्योंकि तीन बार आदमी सवाल पूछता है, और तब बुद्ध तीन बार जवाब देते हैं। बहुत लंबा हो जाता है, छः गुना हो जाता है काम।
बुद्ध से किसी ने पूछा कि आप तीन बार के लिए क्यों रुकते हैं?
बुद्ध ने कहा कि जो मांगता है उसी को मिल सकता है। और तीन बार पूछने का केवल इतना ही प्रयोजन है कि वस्तुतः तुम पूछना ही चाहते हो, ऐसे ही जिज्ञासा से नहीं आ गए हो। तुम्हारे प्राण दांव पर लगे हैं, तभी सलाह दी जा सकती है। लेने वाला तैयार हो, तभी दी जा सकती है। लेने वाला आतुर हो, तभी दी जा सकती है। लेने वाला प्यासा हो, तभी।
और पूछा गया कि आप तीन बार फिर उत्तर क्यों देते हैं?
बुद्ध ने कहा, लेने वाला कितना ही तैयार हो, पर सोया हुआ है। एक बार में न सुन पाए शायद, दोबारा सुन ले। दोबारा न सुन पाए तो शायद तीसरी बार सुन ले। - जीसस ने अपने शिष्यों से कहा कि कोई तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करे तो सात बार क्षमा कर देना। एक शिष्य ने पूछा कि ठीक, फिर आठवीं बार क्या करना? सात बार क्षमा कर दिया, फिर आठवीं बार? तो जीसस ने कहा, सात बार नहीं, सतहत्तर बार। और अगर तुम पूछोगे कि अठहत्तरवीं बार क्या करना तो मैं कहूंगा सात सौ सतहत्तर बार। क्योंकि वह तो बात ही न हुई। तुम समझे ही नहीं; चूक गए। सात बार तो सिर्फ प्रतीक है क्षमा कर देने का। क्षमा कर देना, यह मतलब है। सात बार तो इसलिए कह रहे हैं कि तुम्हारा भरोसा नहीं है।
एक ईसाई फकीर के संबंध में कहानी है कि एक आदमी आया और उसने उसके एक गाल पर चांटा मारा। तो उसने दूसरा गाल सामने कर दिया, जैसा कि जीसस का उपदेश है, कि जो तुम्हारे बाएं गाल पर चांटा मारे, दायां उसके सामने कर देना। वह आदमी भी दुष्ट था। उसने भी जीसस की किताब पढ़ी थी। उसने कहा कि तुम हमको न धोखा दे सकोगे। उसने दाएं गाल पर भी एक चौटा मार दिया। जैसे ही उसने दाएं गाल पर चांटा मारा, वह फकीर झपटा और उस आदमी की छाती पर सवार हो गया। उसने कहा, अरे यह तुम क्या करते हो? जीसस को मानने वाले होकर और यह तुम क्या कर रहे हो? उसने कहा कि जीसस ने कहा है कि जब बाएं पर कोई मारे, दायां कर देना। अब दाएं पर जब कोई मारे, उसके आगे उन्होंने कुछ कहा भी नहीं है। और दाएं के आगे कुछ है भी नहीं। अब हम स्वतंत्र हैं। जीसस का वचन कर दिया, निपटा दिया। अब तुम हमसे मुकाबला करो। __ तुम सभी सिद्धांतों को चुका देते हो, और जल्दी ही तुम प्रकट हो जाते हो।
ऐसी भूल मत करना। प्रथम होने के लिए अंतिम खड़े मत हो जाना। नहीं तो बहुत पछताओगे। उससे तो बेहतर तुम कोशिश में ही लगे रहना प्रथम होने की। तो कम से कम लाओत्से को तो दोष न दोगे कि हम इसकी किताब की उलझन में पड़ गए, पीछे खड़े हो गए। न कोई आया, न बैंड-बाजे बजे, न कोई स्वागत-समारंभ हुआ।
'लोगों के बीच उनका अगुआ होने के लिए किसी को उनके पीछे-पीछे चलना चाहिए।' ध्यान रखना, यह लाओत्से परिणाम की बात कर रहा है, चाह की बात नहीं कर रहा है। अगर तुम पीछे-पीछे