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* जन्यात्म विशेषगुणनाशविचारः
'शब्दनाशत्वावच्छिन्नं प्रति विजातीयपवनसंयोगनाशत्वेन हेतुत्वमित्यपि अपास्तम्, जन्यात्मविशेषगुणनाशत्वावच्छिन्नं प्रत्यप्येवं विजातीयात्ममन:संयोगनाशत्वेन हेतुताया: सुवचत्वात् ।
अथ स्वप्रतियोगिजन्यत्व- कालिकोभयसम्बन्धेन स्वविशिष्टप्रतियोगिकनाशत्वावच्छिन्नं
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ॐ जयलता औ
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ननु अस्माभिः न प्रतियोगितया नाशत्वावच्छिन्नं प्रति स्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्धेन नाशवंन हेतुता स्वीक्रियते किन्तु प्रतियोगितया शब्दनाशत्वावच्छिन्नं प्रति एवं स्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्धेन विजातीयपचनसंयोगनाशत्वावच्छिन्नस्य कारणता स्वीक्रियते । अतो न ज्ञानादीनां चतु: क्षणस्थायित्त्वग्रसङ्गः, तत्सामग्रीविरहात् । ततो न कश्चिद् दोष इत्यादायमपाकर्तुमाहुः एतेन तुल्यन्यायेन, अपास्तमित्यनेनास्यान्वय: । शकाग्रन्थो विभावित एव । तदपाकरणाय तुल्ययुक्त्या वदन्ति - जन्यात्मविशेषगुणनाशत्वावच्छिन्नं जन्यां य आत्मनी यांग्यों ज्ञानेच्छा-द्वेष-प्रयत्न- सुख-दुःखान्यतरलक्षणां विशेषगुणः तत्प्रतियागिकनाशत्वावच्छिन्नं प्रति अपि एवं निरुक्तसम्बन्धन विजातायात्ममन:संयोगनाशत्वेन हेतुतायाः सुवचन्वात् । स्पष्टमेव । एतेन प्रतियोगितासम्बन्धावच्छिन्न शब्दनाशत्वावच्छिन्नकार्यतानिरूपितस्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्धावच्छिन्नकारणतावच्छेदकं नाशत्वमिति न ज्ञानादे: तथात्वप्रसङ्गः, कार्यतावच्छेदकानाक्रान्तस्याऽनापाद्यत्वादित्यपि परास्तम्, निरुक्तसम्बन्धावच्छिन्न योग्यविभुविशेषगुणनाशत्वावच्छिन्नकार्यतानिरूपितनिरुक्तसम्बन्धावभिकारगतावच्छेदकत्वं नाशत्वस्येत्यस्यापि वक्तुं शक्यत्वात् । अन एव शब्दनिष्ठप्रतियोगितासम्बन्धावच्छिन्न-नाशत्वावच्छिन्नकार्यनानिरूपितनिरुक्तसम्बन्धावच्छिन्नकारणतावच्छेदकं विजातीयपवनसंयोग
नाशत्वमित्यपि प्रत्याख्यातम् याग्यविभुविशेषगुणनिष्ठप्रतियोगितासम्बन्धावच्छिन्न-नाशत्वावच्छिन्नकार्यतानिरूपितनिरुक्तसम्बन्धाबच्छेिन्नकारणतावच्छेदकं नाशत्वमित्युपगमे ततोऽपि कारणतावच्छेदकलाघवादिनिं विभावनीयम् ।
अथेति । चेदित्यनेनास्यान्चयः । स्वप्रतियोगिजन्यत्व- कालिको भयसम्बन्धेन स्वविशिष्टो यः तत्प्रतियोगिकनाशत्वावच्छि स्वविशिष्टप्रतियोगिकनाशत्वाच्छिन्नं प्रति एव न तु केवलं नाशत्वावच्छिक प्रति नाशत्वेन हेतुतेति । कार्यतावच्छेदकसम्बन्धः प्रतियोगिता कार्यतावच्छेदकतावच्छेदकसम्बन्धः स्वप्रतियोगिजन्यत्व- कालिको भयसम्बन्धः, कार्यनावच्छेदकधर्मः स्वविशिष्टप्रतियौगिकनाशत्वं, कारण्गतावच्छेदकधर्मः नाशत्वं कारणतावच्छेदकसम्बन्धश्च स्वप्रतियोगिजन्यत्व - कालिकोभयम् । स्वपदेन नाशकग्रामभिप्रेतम् । तथाहि स्वप्रतियोगिजन्यत्वकालिकांमयसम्बन्धेन कपालद्वयविजातीयसंभोगनाशविशिष्टघटप्रतियोगिकनाशः प्रतियोगिता
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एतेन । यहाँ बचाव के लिए उक्त कार्य कारणभाव का त्याग कर के ऐसा कार्यकारणभाव मान्य किया जाय कि - → प्रतियोगिता सम्बन्ध से शब्दनाशत्वावच्छिन्न के प्रति स्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्ध से विजातीय पवनसंयोग का नाश विजातीयपवनसंयोगनाशत्येन कारण है । अतः ज्ञानादि के चतुःक्षणस्थायित्व का कोई प्रसंग नहीं होगा, क्योंकि उपर्युक्त कार्यकारणभावकोटि से ज्ञानादिनाश बहिर्भूत है । अतः निमित्तकारणीभूत विजातीय आत्ममन:संयोग के क्षणचतुष्कस्थायित्व के सबन ज्ञानादि में
क्षण तक स्थायित्व का अनिष्ट प्रसङ्ग नहीं होगा तो यह भी निराधार होगा, क्योंकि तुल्य न्याय से यह भी कहा जा सकता है कि प्रतियोगिता सम्बन्ध से जन्यात्मविशेषगुणनाशत्वावच्छिन के प्रति स्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्ध से विजानीयात्ममनोयोगनाश विजातीयात्ममन:संयोगनाशत्वेन कारण है। इस तरह कार्यकारणभाव के स्वीकार से तो ज्ञानादि भी चार क्षण तक स्थायी बन सकते हैं, क्योंकि ज्ञानादि के नाशक का समवधान ज्ञानादि की उत्पत्ति के चतुर्थ क्षण में होने से ज्ञानादि में स्वपञ्चमक्षणवृत्तिध्वंसप्रतियोगित्व आता है। देखिये स्व का अर्थ है विजातीय आत्ममन: संयोगनाश, उसका प्रतियोगी है विजातीय आत्ममन:संयोग, उसकी जन्यता है ज्ञानादि में । अतः विजातीयात्ममन:संयोगनाश स्वप्रतियोगिजन्यत्वसम्बन्ध में ज्ञानादि में रहने से प्रतियोगिता सम्बन्ध से ज्ञानादि में ही ज्ञानादिनाश उत्पन्न होगा, क्योंकि ज्ञानादि ज्ञानादिनाश का प्रतियोगी ज्ञानादि है। इस तरह कार्य और कारण में सामानाधिकरण्य की भी उपपत्ति होगी और चतुःक्षणस्थायित्व की आपत्ति भी आयेगी । ॐ शब्द एवं ज्ञानादि की क्षणचतुष्कस्थायिता में प्रतिबन्दी
अथ । यदि शब्द की चतुःक्षणस्थिरता की उपपत्ति के लिए एवं ज्ञानादि के चतुः क्षणस्थायित्व के निरास के लिये ऐसा कहा जाय कि स्वप्रतियोगिजन्यत्व और कालिक उभय सम्बन्ध से स्व (विजातीयसंयोगनाश) से विशिष्ट ऐसे प्रतियोगी के नाश के प्रति स्वप्रतियोगिजन्यत्व-कालिकां भयसम्बन्ध से विजातीयसंयोगनाश नाशत्वेन हेतु है । कारणतावच्छेदक सम्बन्ध है स्वप्रतियोगिजन्यत्व और कालिक, कारणतावच्छेदक धर्म है नाशत्व, कार्यतावच्छेदक सम्बन्ध है प्रतियोगिता, कार्यता अवच्छेदकता अवच्छेदक