Book Title: Syadvadarahasya Part 3
Author(s): Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 363
________________ 541 2055 201 9. अहा 451 775 36 236 145 160 160 141 R M m2 mu परिशिष्ट-९ जयलताकाररचित श्लोक की सचि अत एव नित्यं 236 | 40, नरसिंहादयो भावा अतो हि तेऽ पि 236 | 41. नानात्मत्वं न अघोज्वलनमग्ने 5 | 42., नानाले म्यान .. अनारब्धेऽष्टमे 1 | 43. नृसिंहभागानुस्यूत अनेकान्तात्मक 1 | 44, न्यायविशारदं नौमि अभव्यमोक्षसञ्जाते 45. पठन्ति बहवो न्यायं अलीकवाचालतया 46. पश्य पश्य सुदूरं 8. अवच्छेदकभेदेन 5.41 47. पार्श्वनाथं प्रणम्य अहो महान् प्रमादः 48. प्रतिभटः कुरङ्ग 10. आत्माविभुत्वमुक्तं 49. प्रत्यक्षतः प्रमीयेते 11. उदयव्ययधर्माणः प्राचां प्रलपितं 12. उपनिषदनेकान्तस्य 51. फल-फलवतोः स्या 13. एकमित्युच्यते तद्धि 541 52. भृष्टबीउसमुत्पन्न 14. एतेनैव प्रकारेण 53. भो ! विस्मरणशीलत्वं 15. कथञ्चिच्चैव 54. भो !साधूक्तं त्वयैव 16. कथञ्चिदनुवृत्तस्य 55. भो! साधूक्ता 17. कयञ्चिदणुसन्दोह 56. मीमांसक ! समुत्तिष्ठ 18. कूर्मरोम्णा गजे मद्र्व्यं हि घटत्वेन 19. क्षीरं विहाय | 58. मेरुरागत्य पत्रे 20. खरो गजगति यदि वरविघाताय 21. गगने नीलिमा 6 | 60. रज्जुसण 22. ज्ञानावृत्तिक्षयप्राप्त | 61. लुण्टिते वेश्मनि 23. ज्वालाग्निमण्डले | 62, बन्ध्यापुत्रीकटाक्षे 24. ज्वालावहिरनु 63. विद्वांसो यदि मम 25. तं नौमि हेमसूरिं 64. विधान-प्रतिषेधौ हि 26. तक्रं क्षीरं 65. विविधार्थक्रिया 27. ततो निरन्बयो ध्वंसः 236 | 66. व्यवहारानुरे धेन 28. तर्कानुमान शशशृङ्गेण नागेन्द्रो 29. तस्मात्रर्हति 236 | 68. श्रेयसेऽस्तु 30. तां नौमि शारदां नित्यं काश्मीर 69. सत्कार्यवादमेकान्तं 31. तां नौमि शारदां नित्यं यत्प्रसादा 634 70. सद्योजाता तु 32. तृणानलस्तथा 71. सर्वज्ञोदितहेतु 33. द्रव्यात्मनानुगामित्वं 541 72. सर्वथानित्यता 34. द्रव्यात्मनेक 73. सुरभि व्योमपुष्यं 35. धर्मातिरेके तधर्म 75 74. स्कन्धन्यस्त 36. धीभावो हि वने 75. स्यादविकारि हि 37. न चोपलभ्यरूपस्य 236 76. स्वभावाभेद 38. नदीवेगस्स्थिरः 77. हावेरिमण्डन नत्वा 39. नरशृङ्गेण नष्ट 236 721 4x9 699 233 235 635

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