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आचार्य विजयेन्द्रसूरि
वेसाली अथवा वैशाली एक अत्यन्त प्राचीन नगर है। इसके साथ विभिन्न भारतीय धर्मों का गहरा सम्बन्ध है । भगवान् महावीरस्वामी के 'वैशालिक' नाम से प्रगट है कि उनका इसके साथ विशेष सम्बन्ध रहा है और उनकी जन्मभूमि कुण्डपुर (क्षत्रियकुण्ड ) इसी के निकट थी। इसलिये यहाँ इसकी स्थिति आदि के सम्बन्ध में हम विचार करेंगे।
आर्य-क्षेत्र
आर्यावर्त्त अथवा मध्यमदेश जैनों, बौद्धों और वैदिकों की दृष्टि से क्या था ? तीनों धर्मों के अनुसार उनके शास्त्रों में इसकी व्याख्या इस प्रकार की गई है।
क. जैनों के अनुसार
बृहत्कल्पसूत्र वृत्तिसहित विभाग ३, पृष्ठ ९१३ (सम्पादक - मुनिराज पुण्यविजय जी) में आर्यदेश और उनकी राजधानियाँ इस प्रकार बताई गई हैं
आर्यदेश
राजधानी
आर्यदेश
राजधानी
१४. शांडिल्य
नन्दिपुर
१५. मलय
भद्दिलपुर
१६. मत्स्य
वैराट
१७. अत्स्य (अच्छ)
१८. दशार्ण
१. मगध
२. अङ्ग
३. वङ्ग
४.
कलिङ्ग
५.
काशी ६. कोशल
७. कुरु
८. कुशा
९. पाञ्चाल १०. . जंगल ११. सौराष्ट्र
१२. विदेह
१३. वत्स
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राजगृह
चम्पा
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वैशाली
ताम्रलिप्ति
कांचनपुर
वाराणसी
साकेत
गजपुर (हस्तिनापुर)
शौरिक (सौरिपुर)
काम्पिल्य
अहिछत्रा
द्वारवती
मिथिला
कौशाम्बी
१९. चेदि
२०. सिन्धु- सौवीर
२१. शूरसेन
२२. भंगी
२३. वर्त्त
वरुणा
मुक्तिकावती
शुक्तिमती
वित्तभय
मथुरा
पावा
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मासपुरी
श्रावस्ती
२४. कुणाल
२५. लाढ
कोटिवर्ष
२६. केकय (अद्धदेश) श्वेतविका
प्रस्तुत आलेख स्व. आचार्य विजयेन्द्रसूरि द्वारा लिखित पुस्तक का अविकल रूप है।
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