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अथवा विदेह में मिथिला नामक नगरी है।
(४) इसी बृहविष्णुपुराण के मिथिलाखण्ड में मिथिला के १२ नाम गिनाये हैं।
मिथिला, तैरभुक्तिश्च, वैदेही, नैमिकाननम्। ज्ञानशीलं कृपापीठं , स्वर्णलांङ्गलपद्धतिः।। जानकीजन्मभूमिश्च, निरपेक्षा, विकल्मषा। रामानन्दकटी, विश्वभावनी, नित्यमङ्गला।।
इति द्वादशनामानि मिथिलायाः।। सदा भुवनसम्पन्नो नदीतीरेषु संस्थितः।
तीरेषु भुक्तियोगेन तैरभुक्तिरिति स्मृतः।। नदी के किनारे पर स्थित प्रान्त (भुक्ति) होने से इसका नाम तीरभुक्ति रखा गया है, जिसका आधुनिक रूप तिरहुत है। इसके ऊपर १२ नाम गिनाये गये हैं।
(५) गङ्गाया उत्तरत: विदेहदेशः। देशोऽयं वेदोपनिषत्पुराणगीयमानानां जनकानां राज्यम्। अस्यैव नामान्तरं मिथिला। राज्यस्य राजधान्या अपि मिथिलैव नामधेयं बभूव। सम्प्रति नेपालदेशसन्निकटा जनकपुरी नाम नगरी जनकानां राजधानी सम्भाव्यते। मिथिलानाम्ना नृपतिना स्थापितं मिथिलाराज्यमिति पुराणानि कथयन्ति।।
भारत- भूगोल : पृष्ठ ३७. गङ्गा के उत्तर में विदेह देश है। इसी का नामान्तर मिथिला है। इसकी राजधानी भी मिथिला थी। वर्तमान जनकपुरी ही प्राचीन राजधानी है। पुराणों के अनुसार मिथिला नाम के राजा ने मिथिला राज्य की स्थापना की थी। (६) भविष्यपुराण के अनुसार निमि के पुत्र मिथि ने मिथिला बसाई
निमेः पुत्रस्तु तत्रैव मिथिर्नाम महान् स्मृतः। पूर्व भुजबलैयेन तैरहुतस्य पार्थतः।। निर्मितं स्वीयनाम्ना च मिथिलापुरमुत्तमम्।
पुरीजननसामर्थ्याज्जनकः स च कीर्तितः।। (७) श्रीमद्भागवत में निमि के पुत्र जनक द्वारा मिथिला अथवा विदेह के बसाये जाने का उल्लेख है।
अराजकभयं नृणां मन्यमाना महर्षयः। देहं ममन्युः स्म निमेः कुमारः समाजायत।। जन्मना जनकः सोऽभूत वंदेहस्तु विदेहजः। मिथिलो मथनाज्जातो मिथिला येन निर्मिता।।
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