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इनके अनुसार जातिक (ज्ञातिक) और नादिक दोनों नाम एक ही स्थान के थे । ञतिगाम (=ज्ञातिगाम) होने से जाति नाम पड़ा था और नादिक तड़ाग (तालाब) के निकट होने से नादिक कहलाता था ।
यह नातिक ग्राम कहाँ पर था, इसके सम्बन्ध में हम निम्न उद्धरणों से एक निर्णय पर पहुँच सकते हैं
(1) Natika (v.l. Nadika, Natika) A locality in the vajji country on the highway between Kotigama and Vesali.
अर्थात् जतिक (नादिक, नातिक)
वज्जीदेश के अन्तर्गत वैशाली और
कोटिगाम के बीच में एक स्थान है।
Dictionary of Pali-Proper Names. Vol. I, page 876.
(२) इसी डिक्शनरी ऑफ पाली प्रापर नेम्स के दूसरे भाग में पृष्ठ ७२३ पर राजगृह और कपिलवस्तु के बीच में आये स्थानों को महापरिनिव्वाणसुत्त के अनुसार गिनाया है
From Kapilvatthu to Rajagaha was sixty leagues. From Rajagaha to Kusinara was a distance of twenty five leagues, and the Mahaparinibbanasutta gives a list of the places at which the Buddha stopped during his last journey that road-
Ambalatthika, Nalanda, Pataligama (where he crossed the Ganges), Kotigama, Nadika, Vesali, Bhandagama, Hatthigama, Ambagama, Jambugama, Bhoganagara, Pava, and the Kakuttha River, beyond which lay the Mango grove and the Sala grove of the Mallas.
अर्थात् कपिलवत्थु से राजगह ६० योजन था, राजगह से कुशीनारा २५ योजन। भगवान् बुद्ध ने जब इस स्थान की अन्तिम यात्रा की तो मार्ग में आने वाले स्थानों को महापरिनिव्वाणसुत्त में इस प्रकार गिनाया गया है- अम्बलत्थिका, नालन्दा, पाटलिगाम (यहाँ गंगा को पार किया था), कोटिगाम, नादिका, वैशाली भण्डगाम आदि-आदि।
अब स्पष्ट रूप से यह परिणाम निकलता है कि क्षत्रियकुण्डग्राम अथवा जातिक वज्जीदेश (विदेह) के अन्तर्गत है । बुद्ध की जो अन्तिम यात्रा का विवरण प्राप्त है उससे प्रतीत होता है कि यह स्थान कोटिगाम और वैशाली के बीच में था। हमारे इस कथन की पुष्टि शास्त्रों से, ऐतिहासिक प्रमाणों से, पुरातत्त्वविभाग द्वारा संगृहीत प्रमाणों से होती है।
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