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को क्षत्रियकुण्ड मान लिया गया है। यहाँ भगवान् का कोई भी कल्याणक-चवन, जन्म और दीक्षा-नहीं हुआ।
शास्त्रों के अनुसार हमारी यह सम्मति है कि जो स्थान आजकर बसाढ नाम से प्रसिद्ध है वही प्राचीन वैशाली है, इसी के निकट क्षत्रियकुण्डग्राम था जहाँ भगवान् के तीन कल्याणक हुए थे।१२ इसी स्थान के निकट आज भी वाणियागाँव, कूमनछपरागाछी
और कोल्हुआ मौहूद हैं। आजकल यह क्षत्रियकुण्ड स्थान वासुकुण्ड नाम से प्रसिद्ध है। पुरातत्त्व विभाग भी वासुकुण्ड को ही प्राचीन क्षत्रियकुण्ड मानता है। यहाँ के स्थानीय लोग भी यही समझते हैं कि भगवान् का जन्म यहीं हुआ था। सन१९४१ में हमने स्वयं वहाँ तीन-चार दिन रहकर बसाढ़, कूमनछपरागाछी, कोल्हुआ, वणियागाँव और अशोकस्तम्भ आदि का निरीक्षण किया था। नदी का प्रवाह बदल जाने से वाणियागाँव, कोल्लाग और कारग्राम नदी के पूर्वभाग में आ गये हैं।
सन्दर्भ
१. पार्श्वनाथचरितम् (श्रीहेमविजयगणि विरचित) में पृष्ठ ९० पर इसे 'वृत्त' रूप
में लिखा गया है। क्योंकि प्राकृत रूप 'वट्ट' है; उसके संस्कृत में वर्त और वृत्त दोनों रूप बनते हैं। सम्भवत: इसी कारण लेखक ने वृत्त का प्रयोग किया है। काव्यमीमांसा तथा बृहत्संहिता आदि में 'वर्तक' देश का वर्णन है। इसलिये
हमारी सम्पत्ति में यहाँ 'वर्त' रूप ही अधिक ठीक है। २. इसी में मल्लिनाथ भगवान श्री नमिनाथ भगवान, अकम्पित गणधर और नमिनाम
के प्रत्येक बुद्ध हुए हैं। यहीं महावीर स्वामी ने ६ चौमासे किये। The Videhas are mentioned in the Brahmana portion of the Vedas as a people in a very advanced stage of civilisation. The part of the country where they lived appears to have been known by the name of Videha even in the still more ancient times of the Samhitas, for the Yajurveda Samhitas mention the cows of Videha, which appears to have been particulary famous in ancient India.
-- Tribes in Anicient India, page 235. ब्राह्मण ग्रन्थोंमें विदेहों को उच्च संस्कृति और सभ्यता वाला बतलाया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि विदेह नाम संहिताओं से भी पहले का है, क्योंकि यजुर्वेद संहिता में विदेह की गौओं का उल्लेख है, जो कि प्राचीन भारत में विशेष रूप से विख्यात प्रतीत होती है।
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