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विद्यापीठ के प्रांगण में
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में प्रो० सागरमल जैन का भव्य स्वागत ___ पार्श्वनाथ विद्यापीठ की संचालक समिति ने पिछले दिनों प्रो० सागरमल जी जैन को विद्यापीठ के मन्त्री पद पर प्रतिष्ठित किया। विद्यापीठ के निदेशक पद से १९९७ ई० में अवकाश ग्रहण करने के उपरान्त भी संचालक समिति के अनुरोध पर डॉ० जैन संस्थान को मानद् निदेशक के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवायें देते रहे। विद्यापीठ के मन्त्री के रूप में संस्थान में उनके प्रथम आगमन पर दिनांक ६ जून को भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया जिसमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रमुख प्रो० एस०एन० मिश्र, दर्शन विभाग के अध्यक्ष प्रो० डी०ए० गंगाधर, पूर्व अध्यक्ष प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रो० माहेश्वरी प्रसाद, डॉ० हरिहर सिंह, डॉ० कमल गिरि, डॉ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, प्रो० सुदर्शनलाल जैन, डॉ० फूलचन्द जैन, डॉ० कमलेशकुमार जैन, डॉ० झिनकू यादव, डॉ० अरुण प्रताप सिंह, श्री सत्येन्द्रमोहन जैन, स्थानीय जैन समाज के कई पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक उपस्थित रहे। देर तक चले इस कार्यक्रम का संचालन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया। वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में प्रो० सागरमल जैन के संस्थान से पुन: सक्रिय रूप से जुड़ने पर हार्दिक प्रसत्रता व्यक्त करते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की। स्वागत समारोह के पश्चात् सामूहिक भोज का भी सुन्दर आयोजन रहा।
पूज्य आचार्यश्री राजयशविजयसूरीश्वर जी म.सा० की प्रेरणा से पार्श्वनाथ विद्यापीठ में स्थापित और वाराणसी निवासी श्री निर्मलचंदजी गांधी एवं उनके परिवार की ओर से प्रदत्त ११/ लाख रुपये के आर्थिक सहयोग से निर्मित मातृश्री रेणुदेवी जैन भोजनशाला में अब तक जैन समाज से कुल ५४६ मितियाँ प्राप्त हो चुकी हैं। एक मिति हेतु एक हजार एक सौ ग्यारह (११११/-) रुपये की धनराशि निर्धारित रही है। संस्थान मितिदानदाताओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनसे भविष्य में भी इसी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा रखता है। भोजनशाला के आरम्भ हो जाने से यहाँ अध्ययनार्थ विराजित साधु-साध्वी एवं परिसर स्थित छात्रावासों में रहने वाले शोधछात्र-छात्रायें तथा आगन्तुक अतिथिगण/शोधछात्र आदि इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
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