Book Title: Sramana 2001 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 192
________________ १८६ पार्श्वचन्द्रगच्छ की साध्वियाँ अध्ययनार्थ विद्यापीठ में पार्श्वचन्द्रगच्छीय साध्वी ॐकार श्रीजी म०सा० की शिष्यायें साध्वी संयमरसा जी म० सा०; साध्वी सिद्धान्तरसा जी म० सा० एवं साध्वी संवेगरसा जी म० सा० यहाँ विद्यापीठ में अध्ययनार्थ विराजित हैं। विद्यापीठ की प्रवक्ता डॉ० सुधा जैन उन्हें प्रात:काल साढ़े पाँच बजे से साढ़े छह बजे तक आसन, प्राणायाम एवं ध्यान के प्रयोग करवाती हैं। साध्वी जी महाराज के साथ-साथ यहाँ छात्रावास में रह रही शोध-छात्रायें भी इन प्रयोगों का लाभ ले रही हैं। विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह इन साध्वियों को संस्कृत-प्राकृत-व्याकरण एवं उत्तराध्ययनसूत्र तथा डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय जैन न्याय एवं डॉ० शिवप्रसाद उन्हें जैनधर्म एवं श्वेताम्बर जैन गच्छों के इतिहास का अध्ययन करा रहे हैं। साध्वी जी महाराज सुख-सातापूर्वक यहाँ विराजमान हैं। श्रावकगण उनके दर्शनार्थ यहाँ समय-समय पर पधारते रहते हैं और विद्यापीठ की शैक्षणिक गतिविधियों से भी अवगत होते हैं। उपा० यशोविजय स्मृति मन्दिर एवं पूज्य राजयशसूरि विद्याभवन का निर्माण पूर्ण पूज्य आचार्यश्री राजयशसूरि जी म०सा० की प्रेरणा से २२ लाख रुपयों की राशि से यहाँ नवनिर्मित दो भवनों- १- उपाध्याय श्री यशोविजयस्मृतिमन्दिर एवं २- पूज्य श्री राजयशसूरि विद्याभवन का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया। इन दोनों भवनों का औपचारिक उद्घाटन दिनांक २१ अक्टूबर को होने जा रहा है। प्रथम भवन का उपयोग योग-साधना हेतु तथा द्वितीय भवन का उपयोग छात्रावास के लिये होगा। 'अचलगच्छ का इतिहास' का विमोचन २८ अक्टूबर को डॉ० शिवप्रसाद द्वारा लिखित और पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं प्राकृतभारती अकादमी, जयपुर द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित अचलगच्छ का इतिहास नामक शोधग्रन्थ का विमोचन अचलगच्छ संघ के पू० आचार्य कलाप्रभसागरजी म.सा० के सान्निध्य में आयोजित एक समारोह में उन्हीं के कर कमलों से उवसग्गहरतीर्थ, नगपुरा, जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़ में दिनांक २८ अक्टूबर को होने जा रहा है। इस अवसर पर दोनों ही संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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