Book Title: Sramana 2001 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 197
________________ १९१ श्रुतपञ्चमी-समारोह सम्पन्न नयी दिल्ली २७ मई : कुन्दकुन्द भारती, नयी दिल्ली के प्रांगण में २७ मई २००१ रविवार को आचार्य विद्यानन्द जी महाराज के सानिध्य में श्रुतपञ्चमी के अवसर पर जिन मन्दिर में स्थानीय जैन समाज द्वारा श्रुत पूजन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मध्य प्रदेश में जैन समुदाय अल्पसंख्यक घोषित भोपाल २९ मई : जैनधर्मावलम्बी लम्बे समय से पूरे देश में जनचेतना एवं अहिंसक आन्दोलन चलाते हुए स्वयं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं। दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल के अथक प्रयासों से मध्य प्रदेश सरकार ने अपने यहाँ जैन समुदाय को अल्पसंख्यक जाति के रूप में मान्यता प्रदान कर दी जिससे उन्हें अब मध्य प्रदेश में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों- मुस्मिल, सिक्ख, ईसाई की भाँति विशिष्ट राजकीय संरक्षण एवं अन्य सुविधाएँ प्राप्त हो सकेंगी। श्रमणसंघ की एकता पर बल श्री धर्मदास गणि परिषद, रतलाम द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका सौभाग्यसूर्यसन्देश के मई २००१ के अंक में श्रमणसंघ के प्रवर्तक श्री उमेश मुनि जी म०सा० का एक साक्षात्कार प्रकाशित हआ है। अपने उद्बोधन में श्री उमेश मुनि जी ने श्रमणसंघ की एकता बनाये रखने पर बल दिया और कहा कि हम सभी का हित इसी में है कि श्रमण संघ विखण्डित रहे। पं० लक्ष्मणभाई भोजक आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार से सम्मानित प्राचीन लिपिविशेषज्ञ एवं वयोवृद्ध विद्वान् श्री लक्ष्मणभाई भोजक को आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार-२००० से सम्मानित किया गया। पुरस्कार समर्पण समारोह दि० १० जून २००१ को भोगीलाल लहेरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलाजी के भव्य सभागार में आयोजित किया गया जिसमें उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय, पाटण के कुलपति प्रो० बलवन्त एस० जॉनी ने श्री लक्ष्मणभाई को पुरस्कार राशि के रूप में ५१,०००/रुपये, शाल, प्रतीक चिह्न आदि भेंट कर सम्मानित किया। ज्ञातव्य है कि अब तक यह पुरस्कार जैन विद्या के क्षेत्र में शोधकार्य कर रहे शीर्षस्थ विद्वानों प्रो० एच०सी० भायाणी, प्रो० एम०ए० ढांकी, प्रो० वी०एम० कुलकर्णी, प्रो० ए०एम० घाटगे और प्रो० एस०आर० बनर्जी को प्रदान किया जा चुका है। उक्त समारोह में भोगीलाल लहेरचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डोलाजी द्वारा प्रायोजित अखिलभारतीय प्राकृतभाषा एवं साहित्य के ग्रीष्मकालीन अध्ययन शिविर की समाप्ति पर उसमें भाग लेने वाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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