Book Title: Sramana 2001 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 206
________________ २०० इस वेबसाइट पर एक चर्चा मण्डल भी है जहां जैन इतिहास से सम्बन्धित विषयों पर चर्चाएँ होती रहती हैं। हाल ही में जिन विषयों पर चर्चाएँ हुईं उनके विषय थे 'क्या मारवाड़ी मूलत: तमिल जैन हैं?', 'क्या भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जैनी थे ?', 'हिन्दू धर्म भारतीय या विदेशी ?', 'तमिल संस्कृति के विकास में जैनधर्म का योगदान' आदि। कई अन्तर्राष्ट्रीय जैन विद्वान् इस चर्चा मण्डल के सदस्य हैं। इस वेबसाइट की एक और विशेषता यह है कि यहां दुनियाभर के जैन इतिहासविद्, जैन शोध संस्थान, जैन शोध पत्रिकाएं आदि की एक निर्देशिका उपलब्ध है। इस वेबसाइट के निर्माण में कोलोराडो विश्वविद्यालय के यशवन्त मलैया और ब्राह्मी सोसायटी कनाडा के एस०ए० भुवनेन्द्र कुमार जी ने अहम भूमिका निभायी है । जैन इतिहासविद् अपने शोधनिबन्ध / रचनाएं इस वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकते हैं। निबन्ध / रचनाएं अंग्रेजी में होने चाहिए और केवल इमेल द्वारा ही jainhistory@hotmail.com इस पते पर भेजने चाहिए। जल्द ही इस वेबसाइट पर जैन इतिहास से सम्बन्धित पुस्तकों की समीक्षा प्रकाशित की जाएगी। इसके लिये पुस्तकें, पत्रिकाएं आमन्त्रित हैं। जैन इतिहासविदों से निवेदन है कि वे अपना परिचय इस वेबसाइट पर प्रकाशित करने हेतु भेजें। पत्र-व्यवहार हेतु पता - महावीर सांगलीकर सम्पादक, जैन हिस्ट्री वेबसाइट २०१, मुम्बई पुणे मार्ग, चिंचवड पूर्व, पुणे- ४११०१९ email : jainhistory@hotmail.com भगवान् महावीर की २६०० वीं जयन्ती के पावन अवसर पर मथुरा के जैन स्तूप के पुनः निर्माण का प्रस्ताव स्थिति - कंकाली टीला गोवर्धन मार्ग के कोने में मथुरा के दक्षिण-पश्चिमी किनारे पर है। यह सात टीलों का समूह है। यहाँ कंकाली देवी का एक छोटा-सा मन्दिर है, जो विशेष प्राचीन नहीं है, इसके कारण यह कंकाली टीला कहलाने लगा। इन टीलों से चौरासी मन्दिर तक टीलों की लम्बी शृङ्खला चली गयी है। Jain Education International यहाँ की खुदाइयों का विवरण- मथुरा में कंकाली टीले के उत्खनन से हार्डिज, कनिंघम, ग्रावजे और फ्यूरर द्वारा यत्र-तत्र खुदाइयों एवं खोजों में अत्यधिक विशाल संख्या में मूर्तियाँ, आयागपट्ट, स्तम्भ, स्तम्भशीर्ष, छत्र, वेदिका - स्तम्भ, सूचियाँ, उष्णीष, तोरणखण्ड, तोरणशीर्ष एवं अन्य वास्तुशिल्पीय कलाकृतियां निकलीं। फ्यूरर को अपने खोज कार्य में ४७ फीट व्यास का ईटों का एक स्तूप, दो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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