Book Title: Sramana 2001 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 202
________________ १९६ हेतु मंगल प्रवेश १-७-२००१ को प्रातः ८ बजे हुआ। आप ऋषिकेश के मार्ग पर स्थित श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ पर ससंघ विराजित हैं। फरीदाबाद : आचार्यश्री पुष्पदन्त सागर जी महाराज के शिष्य श्री अरुणसागर जी महाराज का वर्ष २००१ का मंगल चातुर्मास हरियाणा प्रान्त की औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में है। आपके मंगल सानिध्य में यहाँ विभिन्न धार्मिक आयोजन सम्पन्न हो रहे हैं। गाजियाबाद : श्री नरेश मुनि जी म०सा० ठाणा - ३ एवं डॉ० श्री दर्शनप्रभा जी म०सा० ठाणा-५ का वर्ष २००१ का मंगल चातुर्मास गाजियाबाद- उत्तर प्रदेश में हो रहा है। आपश्री के सान्निध्य में यहाँ प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक आयोजन सम्पन्न हो रहे हैं। आस-पास के क्षेत्रों से प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आकर आपश्री के चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित कर रहे हैं और गुरुवाणी एवं प्रवचन श्रवण का लाभ ले रहे हैं। पूर्णा जंक्शन : श्रमणसंघीय मुनिश्री हर्षवर्धन जी म०सा० का इस वर्ष का चातुर्मास यहाँ हो रहा है। आपश्री के सान्निध्य में यहाँ प्रार्थना, प्रवचन, प्रश्नमंच, आचार्य आनन्द ऋषि जी म०सा० की १०२वीं जयन्ती, भक्तिगीत आदि विभिन्न धार्मिक आयोजन सम्पन्न हो रहे हैं जिनमें बड़ी संख्या में स्थानीय एवं आस-पास के क्षेत्रों श्रद्धालुजन उपस्थित होकर उससे लाभान्वित हो रहे है। दि० १८ अगस्त को यहाँ आपश्री के सान्निध्य में श्रमणसंघ के चतुर्थपट्टधर आचार्यसम्राट डॉ० शिवमुनि जी म०सा० का ५९वां जन्म दिवस जप-तप आदि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा धूमधाम से हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। अहमदाबाद : दिगम्बर जैन समाज, अहमदाबाद के विशेष आग्रह पर प्रवचनकेशरी श्री सूर्यसागर जी म० एवं श्री सरलसागर जी का वर्ष २००१ का मंगल चातुर्मास गुजरात प्रान्त की सबसे बड़ी औद्योगिक नगरी अहमदाबाद में हो रहा है। स्थानीय श्रीसंघ द्वारा इस अवसर पर यहाँ विभिन्न धार्मिक आयोजन किये गये हैं। चातुर्मास घोषित आचार्य सुदर्शनलाल जी म०सा० के उत्तराधिकारी, संघनायक श्री पद्मचन्द्र जी म०सा० और उनके आज्ञानुवर्ती २७ अन्य मुनिराजों के सुनाम (पंजाब), मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश), रुद्रपुर (उत्तरांचल), दिल्ली, जीन्द (हरियाणा), घरौण्डा (हरियाणा), हिसार (हरियाणा) और रोपड़ ( पंजाब ) - कुल ८ स्थानों पर चातुर्मास निश्चित हुए हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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