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है। और 'भय को मारे नी भयसाण मारै' कहावत के अनुसार मृत्यु तक हो जाती है।
भगवान् पार्श्वनाथ स्वामी के साथ कमठ का इकतरफा बैर कई भवों से चला आता था। एक बार हाथी के भव में कुक्कुट साँप ने काट खाया था। भगवान् जब राजकुमार थे तब कमठ तापस गंगातट पर पंचाग्नि तप करता था। भगवान् ने उसके अज्ञान तप को चुनौती देते हुए जलते काठ को चीरा कर उसमें अधजले साँप युगल को नवकार मंत्र सुनाया था जिससे वे धरणेन्द्र-पद्मावती (इंद्र-इंद्राणी) हुए। यह कथा सर्वत्र प्रसिद्ध है कि कमठ मर कर मेघमाली देव हुआ और उससे घनघोर वृष्टि द्वारा उपसर्ग किया तब धरणेन्द्र-पद्मावती ने प्रकट हो कर उन्हें मस्तक पर उठा लिया। कमठ को फटकारते हुए उसका बैर समाप्त कराया और वे भगवान् के परम भक्त इन्द्र-इन्द्राणी हुए।
नागलोक में हानि पहुँचाने से सागर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्रों को समाप्त करने की कथा प्रसिद्ध ही है।
लौद्रवाजी तीर्थ में शिखर की नीचे बाँबी में अधिष्ठाता साँप का स्थान है जो भक्त यात्रीजनों को दर्शन देता रहता है।
प्राचीन साहित्य में नागकुमार - भवनपति देवों आदि की अनेक कथाएं संप्राप्त * कौशाम्बी नरेश शतानीक की रानी मृगावती को भारण्ड पक्षी उठाकर ले गया और मलयाचल पर छोड़ दिया। रानी ने वहाँ ऋषि आश्रम में राजकुमार उदयन को जन्म दिया। उदयन ने एक बार नाग को मारने के प्रस्तुत भील को रोककर मां का कंकण देकर उसकी रक्षा की। वह महर्द्धिक नागकुमार के रूप में प्रकट होकर कुमार का मित्र हो गया और उसे नागलोक में ले गया। कुछ दिन सम्मानपूर्वक रख कर संगीत वीणा-वादन विद्या का अभ्यास कराके एक वीणा के साथ अपनी मां के पास पहुंचा दिया।
__ आरामशोभा के चरित्र में भी इसी प्रकार विमाता से कष्ट पाती हुई जब वह जंगल में थी तो शिकारी से साँप की रक्षा की। वह नागकुमार देव था। उसने चिलमिलाती धूप में मस्तक पर वृक्ष की छाया रखना शुरु कर दिया। एक बार राजा ने उसे गुणवती और सुंदर देखकर पिता से मांग कर शादी कर ली। विमाता ने उसे प्रसव हेतु बुलाकर कुएं में डाल दिया और उसके पुत्र को अपनी पुत्री के साथ भेज दिया नाग कुमार देव ने कुंए में उसकी रक्षा की। उसे गुप्त रूप में राजमहल में पुत्र के साथ खेलने के लिए भेजता। राजा ने उसे पहचान कर रख लिया। वियोग समाप्त हो गया।
राजा प्रियंकर एक साधारण वणिक पुत्र था जिसके बड़े भाई ने, जो धरणेन्द्र के परिवार में देव हुआ था उपसर्गहर स्तोत्र के प्रभाव से उन्नति के शिखर पर पहुँचा कर राजा बना दिया, इसकी कथा प्रसिद्ध है।
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