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देवलोक और त्रियञ्च में नाग
- भंवरलाल नाहटा . समस्त ब्रह्माण्ड चौदह राजलोक में व्याप्त है। लोकाकाश में छ: द्रव्य हैं, जबकि अलोकाकाश में केवल आकाश द्रव्य ही है। लोकाकाश में ही स्वर्ग, नरक, तिर्यंच और मनुष्य गति के प्राणी हैं जबकि मनुष्य क्षेत्र ४५ लाख योजन के केवल ढाई द्वीप के सीमित क्षेत्र में है, अवशिष्ट असंख्य द्वीप- समुद्रों में मनुष्योत्तर पर्वत से लगाकर स्वयंभूरमण समुद्र पर्यन्त असंख्य योजन में नदी-पहाड़ों-समुद्रों और द्वीपों में शाश्वत जिनालयों एवं चतुर्विध देवों का ही निवास है। उनकी राजधानियां हैं। मनुष्य देहधारी लब्धि-सिद्धि संपन्न हो अथवा देव-विद्याधरों की सहायता से ही नंदीश्वरद्वीपादि तीर्थदर्शन यात्रा हेतु जाकर आ सकता है परन्तु वहाँ निवास नहीं कर सकता।
चौदह राजलोक के निम्न भाग में ७ नरक, मध्य भाग में मनुष्य लोक और उसके ऊपरी भाग में ५ ज्योतिषी देव, उनके ऊपर १२ देवलोक, ९ अवेयक तथा पाँच अनुत्तर विमान हैं जो वैमानिक देव, कहलाते हैं। ९ ग्रैवेयक और ५ अनुत्तर विमानवासी देवों के अधिपति इन्द्र नहीं होते, वे इसलिए अहमिन्द्र कहलाते हैं। १२ देवलोक के १२ इन्द्र, १० प्रकार के भवनपति में उत्तर के १० और दक्षिण के १० कुल २०, वाणव्यंतर के ८, व्यंतरों के ८, उत्तर दक्षिण के ८-८ कुल ३२, इस प्रकार ६४ केन्द्र होते हैं। वे तीर्थंकरों के कल्याणक आदि विविध प्रसंगों में सर्वत्र आवागमन करते हैं, कल्पोपत्र हैं, कल्पातीत देव नहीं आते। अनुत्तर देवों की अवगाहना १ हाथ, नौ ग्रैवेयक की २ हाथ, नौवें से १२ वें तक ३ हाथ, ७ वें - ८ वें की ४ हाथ, पांचवें-छठे की ५ हाथ, तीसरे-चौथे की ६ हाथ और पहले-दूसरे की ७ हाथ होती है। जबकि आयुष्य ७वीं नरक तथा अनुत्तर विमान की ३३ सागरोपम की है जो क्रमश: घटते घटते सागरोपम-पल्योपम होते-होते देवों की कम से कम १० हजार वर्ष की आयु होती है। _0_
२ नागकुमार उधिकुमार . भवनपति देव १० प्रकार के होते हैं- १.असुरकुमार, ४.सुपर्णकुमार ५.अग्निकुमार, ६.वायुकुमार, ७.स्तनितकुमार, ८.उदधिकुमार, ९.द्वीपकुमार और १०.दिक्कुमार। इनके दक्षिण और उत्तर विभाग के कुल २० इंद्र होते हैं।
भवनपति देवों के रहने के स्थान रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक के १८०००० योजन के मोटे स्तर में से ऊपर-नीचे के १०००-१००० योजन छोड़कर १७८००० योजन में १३ स्तर/प्रतर के बारह में घर जैसे भवनों और मण्डपों में निवास करते हैं। इसी कारण वे भवनपति कहलाते हैं। भवनपति देखने में सुन्दर, मनोहर, सुकुमार, मृदु
* ४, जगमोहन मल्लिक लेन, कलकत्ता ७००००७.
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