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ललितकीर्ति
हीरराज
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उदयहर्ष
भक्तिविशाल (वि०सं० १७३७ / ईस्वी सन् १६७१ में अंजनासुन्दरीरास के प्रतिलिपिकार)
कीर्तिरत्नसूर शाखा के ही एक मुनि क्षेमविमल के पठनार्थ वि०सं० १३७१ में उत्तराध्ययनसूत्र की प्रतिलिपि की गयी । २४ इसकी दाताप्रशस्ति में उक्त मुनि के अन्य सतीथ्यों - कर्पूरलाभ, मुनिसोमनन्दन, मतिविमल आदि का उल्लेख करते हुए उन्हें उदयहर्ष का शिष्य बतलाया गया है। २५ वि० सं० १७६० में लिखी गयी चन्द्रलेखाचरित की एक प्रति की प्रशस्ति २६ में प्रतिलिपिकार के रूप में भी क्षेमविमल का उल्लेख प्राप्त होता है।
इस प्रकार उदयहर्ष के कुल ५ शिष्यों का उल्लेख प्राप्त हो जाता है :
हीराज
1
उदयहर्ष
भक्तिविशाल मुनिसोमनन्दन (वि०सं० १७३७ में अंजनासुन्दरीरास के प्रतिलिपिकार)
कर्पूरलाभ
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मतिविमल
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उपरोक्त विभिन्न प्रशस्तियों में उल्लिखित छोटी-छोटी गुववलियों के परस्पर समायोजन से आचार्य कीर्तिरत्नसूरि के शिष्य हर्षविशाल की शिष्य परम्परा की विस्तृत तालिका संगठित होती है, जो निम्नानुसार है
द्रष्टव्य- तालिका संख्या - २
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क्षेमविमल ( इनके पठनार्थ वि० सं० १७३१ में उत्तराध्ययनसूत्र की प्रतिलिपि की गयी; वि०सं० १७६० में चन्द्रलेखाचरित के प्रतिलिपिकार)
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