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ऊपर के उद्धरणों से स्पष्ट है कि विदेह एक प्रान्त था। इसके १२ नामों में तीरभुक्ति भी एक नाम है और भुक्ति का अर्थ प्रान्त होता है। भुक्ति का प्रान्त अर्थ एक तो ऊपर दिये गये शक्तिसंगमतन्त्र के श्लोक से प्रकट होता है दूसरा गुप्तकालीन शिलालेखों में एक स्थान पर 'भुक्ति' शब्द का प्रयोग हुआ है, वहाँ पर उस प्रकरण से प्रकट होता है कि भुक्ति का अर्थ प्रान्त है। अर्थात् आर्यावर्त का एक प्रान्त विदेह था, उस प्रान्त की राजधानी मिथिला थी।
वैशाली इस विदेहदेश की राजनधानी बाद में मिथिला से उठकर वैशाली आ गई थी। वैशाली के सम्बन्ध में तीन प्रमुख धर्मों का निम्न दृष्टिकोण था। क. बौद्ध दृष्टिकोण
The Vajjis like the Licchavis, are often associated with the city of Vesali which was not only the Capital of the Licchavi clan, but also the metropolis of the entire confederacy. 'A Buddhist tradition quoted by Rockhill (Life of the Buddha, p.62) mentions the city of Vesali as consisting of three districts. These districts were probably at one time the seats of three different clans.
___G. of Early Buddhism, page 12. __अर्थात वैशाली न केवल लिच्छवियों की राजधानी थी, अपित सम्पूर्ण वज्जिसंघ की राजधानी थी। वैशाली के अन्तर्गत तीन परकोटे थे।
"Ajatasattu is called Vedehiputto or Vaidehiputtra........goes to show that King Bimbisara established matrimonial alliance with the Licchavis by marrying a Licchavi princess."
G. of Early Buddhism, page 13. अजातशत्रु को वैदेहीपुत्र कहा जाता था। इससे प्रगट है कि बिम्बिसार (श्रेणिक) ने लिच्छवि राजकुमारी से ब्याह करके लिच्छवियों के साथ समझौता किया हुआ था।
२. विदेह का राजा करालजनक बड़ा कामी था और एक कन्या पर आक्रमण करने के कारण प्रजा ने उसे मार डाला। कराल शायद विदेह का अन्तिम राजा था; सम्भवत: उसकी हत्या के बाद ही वहाँ की राजसत्ता का अन्त हो गया। और संघ राज्य स्थापित हो गया। सातवीं-छठी शताब्दी ई०पू० में विदेह के पड़ोस में वैशाली में भी संघराज्य था; वहाँ लिच्छवि लोग रहते थे। विदेहों और लिच्छवियों के पृथक् २ संघों को मिलाकर फिर इकट्ठा एक ही संघ या गण बन गया था जिसका नाम वृजि (या
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