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२७ वज्जि) गण था।....... समूचे वृजिसंघ की राजधानी भी वेसाली (वैशाली) ही थी। उसके चारों और तिहरा परकोटा था, जिसमें स्थान-स्थान पर बड़े-बड़े दरवाजे और गोपुर (पहरा देने के मीनार) बने हुए थे।
भारतीय इतिहास की रूपरेखा, पृष्ठ ३१०-३१३ ख. वैदिक दृष्टिकोण यह है (१) रामायण के 'आदिकाण्ड' में सर्ग ४७वें में लिखा है
इक्ष्वाकोस्तु नरव्याघ्रपुत्रः परमधार्मिकः। अलम्बुषायामुत्पन्नो विशाल इति विश्रुतः।
तेन चासीदिह स्थाने विशालेति पुरीकृता। ११-१२। इक्ष्वाकु की रानी अलम्बुषा के पुत्र विशाल ने विशाला बनवाई।
(२) भागवतपुराण के नवम स्कन्ध अ० २ श्लोक २३ में विशाल द्वारा वैशाली बनवाने का वर्णन है।
विशाली वंशकृद् राजा वैशाली निर्ममे पुरीम्।
3. The seat of the central government shifted from Janakapura in the Nepal Tarai to vaisali (modern Basarha in the district of Muzaffarpur) which came into prominence in the 6th century B.C.
History of Tirhut By B.S.N. Singh, page 34. अर्थात् जनकपुर (मिथिला) की केन्द्रीय सरकार वैशाली (आधुनिक बसाढ़ मुजफ्फरपुर जिले के अन्तर्गत) में उठकर आ गई थी। (ग) जैन दृष्टिकोण १. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र के पत्र ७७ पर
इतश्च वसुधावध्या मौलिमाणिक्यसन्निभा। वैशालीति श्रीविशाला नगर्यस्त्यगरीयसी।।१८४।। आखंडल इवाखंडशासनः पृथिवीपतिः।
चेटीकृतारिभूपालस्तत्र चेटक इत्यभूत।।१८५।। धनधान्य से भरपूर और विशाल वैशाली नगरी है। उस पर चेटक का शासन था।
२. तए णं से कूणिए राया तेतीसाए दन्तिसहस्सेहिं तेतीसाए आससहस्सेहिं तेतीसाए रहसहस्सेहिं तेतीसाए मणुस्सकोडिहिं सद्धिं संपुरिबुडे सव्विडिए (जाव) रवेणं
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