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२. मध्यदेश की पूर्वदिशा में कजंगल नामक कस्बा है, उसके बाद बड़े शाल (के वन) हैं और फिर आगे सीमान्त देश। मध्य में सललवती नामक नदी है, उसके आगे फिर सीमान्त (प्रत्यन्त) देश है, दक्षिण दिशा में सेतणिक नामक कस्बा है, उसके बाद सीमान्त देश है। पश्चिम दिशा में थून नामक ब्राह्मणों का ग्राम है, उसके बाद . सीमान्त देश है। उत्तर दिशा में उशीरध्वज नामक पर्वत है, उसके बाद सीमान्त देश..... हैं। बुद्धचर्या, पृष्ठ १.
इस ऊपर बताये बौद्धों के मध्यप्रदेश में १६ महाजनपद थे। वे हैं१. काशी
२.
कोशल
३.
अंग
४. मगध
वज्जी
५.
६. मल्ल
७.
८.
चेतिय (चेदी)
वंश (वत्स)
९. कुरू
१०. पाञ्चाल
११. मच्छ (मत्स्य)
१२. शूरसेन
१३. अस्सक
१४. अवन्ती
१५. गन्धार
१६. कम्बोज
ग. वैदिक ग्रन्थों के अनुसार मध्यदेश अथवा आर्यावर्त यह था
(1) In the Dharmasutra of Baudhayana, Aryavarta or the country of the Aryans (which is practically identical with the country later on known as Madhyadesa) described as lying to the east of the region where the river Saraswati disappears, to the west of the Kalakavana or Black Forest (identified with a tract somewhere near Prayag), to the north of Paripatra and to the south of Himalayas.
Geography of Early Buddism, Page 1 अर्थात् आर्यावर्त्त अथवा मध्यदेश सरस्वती नदी के पूर्व तक, कालक वन के पश्चिम तक, पारिपात्र के उत्तर तक और हिमालय के दक्षिण तक विस्तृत था ।
(२) मनु ने मध्यदेश को उत्तर में हिमालय तक, दक्षिण में विन्ध्य तक, पश्चिम में विनशन तक और पूर्व में प्रयाग तक बताया है
हिमवद्विन्ध्ययोर्मध्यं यत्प्राग्विनशनादपि ।
प्रत्यगेव प्रयागाच्च मध्यदेशः प्रकीर्त्तितः । ।
(३) बृहत्संहिता के १४वें अध्याय में मध्यदेश के अन्तर्गत निम्न प्रदेश गिनाये
गये हैं।
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