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सिद्धो हु खेत्त गव णील महाइणीलो रामहणू गवखयो सुडिलो सुगीवो ॥21॥
उन्नत हस्ति पाषाण का यह मांगीतुंगी श्रृंखला बद्ध लिंग रूप है। यहाँ गव, नील, महानील, राम, हनू, गवाक्ष, सुडील एवं सुग्रीव जैसे महापुरुष सिद्ध हुए ।
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कोडीइ णिण्णणव - झाण तवेहि मुत्ता अंतिल्ल केवलि सुदीहरभद्दबाहू ।
ते विंस-पुव्व-सद-संघ - इगे - गुफाए किस्स अंतिमपयाण इधेव किज्जो ॥ 22 ॥
कोटी निन्नानवें सिद्ध पुरुष ध्यान एवं तपों से मुक्त हुए । यहाँ पर अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु तेईस सौ वर्ष पूर्व संघ सहित यहाँ आए । यहाँ की एक गुफा में जिन्होंने ध्यान किया। यहाँ पर ही श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार किया गया।
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साहस्स-इक्कचदुतेचदु-उच्चमंगी ते चत्तरी छह छहे फिड उच्च - तुंगी ।
dus हु कूड-गमणस्स ति सहस्स सेढी सामुद्द-तल्लदु गदादु गुहा वि दुहं ॥23॥
समुद्र तल से मांगी शिखर 4143 फीट एवं तुंगी शिखर 4366 फीट ऊंचा है। यहाँ जाने के लिए तीन हजार (3000) सीढ़ियाँ हैं । मार्ग में दो गुफाएँ भी हैं ।
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सुद्धे गुहाइ तिफुडस्सय अद्ध पंचे बुद्धे गुहाइ मणुहारि सुतित्थ बिंबा | वीरस्स अद्धृतयबिंब - सिदे हु आदिं । पोम्मासणे खडग-आसण बिंब - साहुँ ॥24 ॥
शुद्ध गुफा में साढ़े तीन फुट और बुद्ध गुफा में साढ़े पांच फुट की प्रतिमाएँ हैं प्रथम गुफा में वीर (महावीर) की साढ़े तीन फुट की प्रतिमा है। आदिनाथ की प्रतिमा श्वेतवर्ण की है। कुछ पद्मासन एवं खड्गासन के बिंब हैं साधुओं के बिंब भी है।
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तित्थाण साहु - पुरिसाण सुबिंब राजे एगे सिसाइ चरणाणि सियाइ अज्जी ।
सम्मदि सम्भवो :: 91