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पांडे हुकमचंदस्स समाही
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पंडे हुकुम्प समही इध खेत्त जादो ठाणे समाहि जडवाड सुगाम - मज्झे । विग्धं च पासपहु- बाहुवलिं च दंसे । एलोर - पत्त- अणुपुव्वयसिप्पि सिप्पं ॥25॥
इस क्षेत्र में पांडे हुकमचंद समाधि को प्राप्त समाधिसागर हुए। जटवाड़ा में उनका समाधि स्थल बनाया गया। फिर पार्श्वप्रभु एवं बाहुबली के दर्शन को प्राप्त संघ ऐलोरा में शिल्पियों की अपूर्व शिल्पकला को देखते हैं ।
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भो विसाल पहु आदि बहिं च भित्तिं आलंकिदं णडिद - णच्च-सहाव-भावं । केलास पव्वद - गुहादि सहावि ठाणं पस्सेदि संघ चदुविंस जिणाण मुत्तिं ॥26॥
ऐलोरा में विशाल स्तंभ, विशाल आदिप्रभु की मूर्ति, बाहरी भित्तियों के अलंकृत दृश्य नाट्य के अनुरूप नृत्य आदि हाव-भाव को भी देखते हैं । कैलास गुफा कैलास पर्वत की तरह है। यहाँ कई गुफाएँ एवं सभा मंडप के स्थान को संघ देखता है। इन्हीं के मध्य चौबीस तीर्थकरों की प्रतिमाएँ भी देखते हैं ।
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पासिद्ध विस्स इध बोद्धय हिंदु सिप्पो ओसग्ग- जुत्त - पहुपास- कला अपुव्वो । बाहुव्वलिस्स पडिमा तव - घोर - दंसे वे माल जुत्त कल - पुण्णय - इंद - कक्खो ॥27॥
यहाँ विश्व प्रसिद्ध बौद्ध एवं हिन्दू संस्कृति के शिल्प हैं । उपसर्ग को दर्शाती हुई पार्श्वप्रभु की प्रतिमा की कला अपूर्व है । यहाँ बाहुबली की प्रतिभा घोर तप का प्रदर्शन करती है। इन्द्रकक्ष- इन्द्रसभा दो माले का अतिकला पूर्ण है ।
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सुंदर - सिप्प-कल- पुण्ण-सभा हु सुक्खो बत्तीस गुह-कला अदि दंसणिज्जा ।
सम्मदि सम्भवो :: 243