Book Title: Sammadi Sambhavo
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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पासत्थी
सम्मदि कव्वे कम्म-जएज्जा ॥ णोटबंदी दिवे अम्हे, कव्वंगणे पविट्ठिदो। बंहोरी वासि-कव्वंगे, छियासि-दिव लेहदे ॥ 2 ॥ सूरीसुणील अस्सीसे, गुरुगारव-पाइए। हिंदी-सह-पवज्जेज्जा वे साहस सतेरहे ॥3॥ जणवरी जणाणंदी, पच्चीससद तेत्तले पूरदे उदयो कव्वो, उदयपुर झिल्लए ।।4।। वि. सं. 2073 मंगलवासरे इदि।
जयदु सम्मदी जयदु सम्मदी फफोतूगाम णंदणं, पियार जय-वंदणं
ओम ओम धारगं, आदि सूरी सिस्सदी। जयदु... महावीर कित्तिए बंहचेर-गेण्हदि बंहविज्जा रदी, सम्मेद सेल-दी साहु सम्मदी, घोर तव वदी॥ जयदु सम्मदी कित्तिस्स-कित्तिए, महा हु कित्तिए कल्लाण-पंथ दी, सज्झाय-सम्मधी॥ जयदु सम्मदी जोगीसरो तुम, तवस्सी चक्की रयणमहातवी, तक्कणीर सी॥ जयदु सम्मदी सम्माडराय तुम तवो मत्तंड सुबुद्धिदायगो, वीर सम्मदी॥ जयदु सम्मदी कुंजवण-णंदणे, वणे समाहित्थए । णमामो अम्हसव्वए, पदेज्ज हु सम्मदी॥ जयदु सम्मदी।
-डॉ. उदयचन्द्र जैन
25 पार्श्वनाथ कॉलोनी जैन मंदिर के पीछे सवीना, उदयपुर (राज.)
सम्मदि सम्भवो :: 275

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