Book Title: Sammadi Sambhavo
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 276
________________ णरवालीइ मुंबए, लासुण्णे ऊदगामए। पंच कल्लाणगं किच्चा वेदिगं मुत्ति-सम्मदी॥38॥ आचार्यसन्मति सागर उदयपुर, खेरवाड़ा, दिल्ली, पारसोला, कुशलगढ़ दाहोद, टीकमगढ़, पार्श्वगिरी, बेडिया, खमेरा, नरवाली, मुंबई, लासुर्णे एवं उदगाँव में पंच कल्याणक, वेदीप्रतिष्ठा एवं मूर्ति स्थापित करवाते हैं। ॥सम्मदिसूरी दिव्व-तवस्सी॥ ॥ इति सम्मदि-संभवो॥ 274 :: सम्मदि सम्भवो

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