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यहाँ कुंजवन तो नंदनवन हो गया था, जब देवों के इन्द्र के सदृश मुंबई निवासी अनिलकुमार, चंदुलाल जी कल्याणक का महामस्तकाभिषेक करते हैं। वे केवलज्ञान की महा पूजन करते, फिर यहीं आचार्य श्री की आरती करते हैं। कोल्हापुरस्स चाउम्मासो त्थि अंतिमचाउम्मासो .
19 णेगापुरा णगर-आदि-सुधम्म-धारं बाहंतमाण-मुणिराज-पवेस-जादो। कोल्हापुरे सहस-भत्त-पमाण-माणे
चारुल्लकित्ति भड-आगद-दसणं च॥9॥ अनेकानेक ग्राम, पुर, नगर आदि में धर्म की धारा बहाते हुए आचार्य श्री का कोल्हापुर में (2010) जुलाई 21 को प्रवेश होता है। उनके दर्शनार्थ चारुकीर्ति भट्टारक (मूडविद्री) भी आते हैं।
20 चाउल्ल-मास-पडि-कम्मण-संझकाले जाए विसाल जयघोस-गुरुस्स अत्थ। वीरं गुरुं गणधरं परिपुज्जमाणा
णंदेति सावग-जणा इध साविगाओ॥20॥ 24 जुलाई को चातुर्मासिक प्रतिक्रमण हुआ। यहाँ गुरुवर का विशाल जयघोष किया गया। चातुमार्सिक स्थापना के पश्चात् 25-26 को गुरु पूर्णिमा पर गौतम गणधर एवं वीर की दिव्य देशना के समय पर श्रावक श्रविकाएँ पूजन वंदन करते हुए आनंदित होते हैं।
21 गोरे हु गाम ठिद सूरि-सुणील-झाणे रत्तो हु अण्ण इग-साहण-सम्म-लीणो। आसीस-जुत्त-गुरुणो ववहार-णिट्ठो।
आयारणि? सुद-साहण पागदीसो॥21॥ गोरेगांव में (2010) का चातुर्मास सुनीलसागर का था। ये आचार्यपद पर स्थित ध्यान में रत एक अन्न असन के संकल्पी अपनी साधना में लीन थे। वे गुरुवर के आशीष युक्त थे उन्हें व्यवहार कुशल एवं आचारनिष्ठ होने का आशीष प्राप्त हुआ। वे प्राकृत भाषा में लिखित साहित्य के साधक बने रहे।
सम्मदि सम्भवो :: 259