Book Title: Sammadi Sambhavo
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
पणरह सम्मदी सम्मदि सम्मदि अंगण सम्मदि
भो गुरु! सम्मदि-सम्मदि-सम्मदि सम्मदि सम्मदि अंगण-सम्मदि। खुल्लग काल य मेरठ सम्मदि
ईसरि-गणय छक्कइ एग-वि॥1॥ आचार्य सन्मतिसागर क्षुल्लक रूप में मेरठ (1961) में सन्मति देते। वे 1962 में ईसरी बाजार को सुशोभित करते हैं।
भो गुरु! सन्मति सन्मति सन्मति
सन्मति सन्मति अंगणसन्मति। कहाँ किसरूप में प्रत्येक अंचल में चातुर्मास करते हैं। .
वाराइ-बकि-सिरि-बावण-गज्ज-गज्जे मंगीइतुंगि-सवणे अवि हुँबुजम्हि कुंथल्ल-पंथ-गजए पुण मंगितुंगि
कुव्वेदि एस गिरणार-मुणिम्हि काले॥2॥ मुनिकाल में चातुर्मास विसं. सन् स्थान
2020 1963 बाराबंकी 2021 1964 बाबनगजा 2022 1965 मांगीतुंगी 2023 1966 श्रवणवेलगोला 2024 1967 हुम्बुज
सम्मदि सम्भवो :: 265

Page Navigation
1 ... 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280