Book Title: Sammadi Sambhavo
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 263
________________ 26 मोदी पगास-इध पारस - चेणलस्स आगच्छ-अत्थ गुरु- हत्थय - आसिसत्थं । पत्तेज्ज भावण - पुणीद-पसारणत्थं तच्चत्थसुत्त वयणस्स विवेयणं च ॥26॥ इसी पर्यूषण के मध्य प्रकाशचंद्र मोदी पारस - चैनल के अध्यक्ष का आना हुआ। वे गुरु के हस्त आशीष युक्त तत्त्वार्थ सूत्र के विवेचन एवं साधुओं के प्रवचन प्रसारणार्थ आशीष प्राप्त करते हैं । 27 जो संत-संगति-प‍ - पभावण- पावणी सा आसीस- साहुइग - बुड्डु-जणी हु रोगी । सोमा सिरी हवदि सम्म गदिं च पत्ता अच्छेर-जुत्त-गणमण्ण-जणा समूहा ॥27॥ संत संगति पतित पावनी, प्रभावना भी है। फिर एक रोगी वृद्धमहिला (95 वर्ष की) साधु के आशीष से सोमश्री बन सम्यक् गति (20 सितंबर) को प्राप्त हुई इससे गणमान्य जन समूह आश्चर्य चकित हुए। वह पूर्व विधायक परिवार की एक सदस्या थी । 28 अक्टुंबरे वि मह-कित्ति - गुणाणुवादो णाबंवरे हु महवीर पभुस्स मुत्तिं । णिट्टावणं च किरियं तथ किंचि काले । हंडावदस्स वि समाहि-महिंद - जादो ॥28॥ अक्टूबर-17 सन् 2010 को महावीरकीर्ति का ( 68वा ) आचार्य पदारोहण एवं स्मृति दिवस पर गुणानुवाद हुआ। नवंबर को निर्माण दिवस महावीर का मनाया गया । वर्षावास का निष्ठावन इसी दिन हुआ । उदयपुर के प्रतिमाधारी महेन्द्र हंडावत (10 नवंबर 2010) समाधि को प्राप्त हुए । 29 दिक्खादिवे तप-पवज्ज-२ - सुबंध बुद्धो अज्जी सुधम्ममदि जाद-सुधम्म- णिट्ठा । सूरी सिरोमणि गुरूण गुरुस्स आदिं माहे दिसंबर गुरुस्स वि केस - लुंचो ॥29॥ सम्मदि सम्भवो :: 261

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