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43 संगीत-गीत-जुद-सुद्धय-मंत-पुव्वे भदं च हेदु-विहि सव्व विहाण-भई। भव्वो किएज्जदि महो सिरि-संतिलालो
सव्वत्थ संति जगदे जग-पाणि सव्वे॥43 ॥ संगीत गीत युक्त शुद्ध मन्त्रोच्चारण पूर्वक सर्वतोभद्र विधान श्रेष्ठी श्री शन्तिलाल कासलीवाल परिवार ने करवाया, वह था सर्वत्र शान्ति एवं प्राणियों में आत्म शान्ति के लिए।
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कुंजवणे हुस सम्मदिसायर, आदि गणीमह खेत्त विसालउ।
पत्थर-पावण सामि-अणंतउ, ठवण-सम्म-सुभावण णरहउ॥4॥ इस कुंजवन में ही आचार्य सन्मतिसागर एवं आचार्य आदिसागर के विशाल क्षेत्र में पत्थर में पावन अनंतवीर्य प्रभु की सम्यक् स्थापना की भावना को दर्शाते हैं।
45 दो साहसे य णव वास-गणिं पदं च कित्तिं समाहि दिवसं जणसज्जदे सो। वीरो तवस्सि-समराड-मुणीस-साहू
बाहत्तरं च मह उच्छव वाडि खेत्ते॥45॥ सन् 2009 जनवरी 13 को आचार्य श्री का 38वां आचार्य पदारोहण मनाया गया। यहीं पर महावीरकीर्ति के समाधि दिवस को भी मनाया गया। आचार्यश्री वीर तपस्वी सम्राट साधु थे। वे 72 वर्ष के होते हैं तब 72वां जन्मदिवस गणेशवाड़ी में उत्सव पूर्वक मनाया जाता है।
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वाडिं च पच्छ सिरि संघ सुसेडवालं पोम्मावदी जण-उगार-पुरे हु पत्तो। फग्गुण्णि-अट्ठ-दिव-काल-सुझाण रत्तो
किंत्तिं च दिक्ख विमलं मुणमंत संघो॥46॥ गणेशवाड़ी के पश्चात् श्री संघ शेडवाल आया, फिर उगार को प्राप्त हुआ, जहाँ पद्मावती उगार ऐसा नाम लिया जाता है। फाल्गुनी अष्टाह्निका में तप ध्यान युक्त संघ महावीरकीर्ति एवं आचार्य विमलसागर के दीक्षा दिवस को मनाता है।
248 :: सम्मदि सम्भवो