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सिद्धखेत्त चंपापुर चाउम्मासो
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चंपापुरी परम-पावण-खेत्त सेट्ठी वासू-सुदंसण-सिरीपल-मेण-राणी। पोम्मा सुदो हु करकंड-सुमुक्ख-धम्मो
गोवाल रोहिण-अणंत कुणिक्क चंदो॥6॥ चंपापुरी परम पावन क्षेत्र श्रेष्ठ नगरी है। यहाँ वासुपूज्य, सुदर्शन, श्रीपाल मैनासुंदरी, पद्मावती का पुत्र करकंडू, सुमुख राजा, मेघ वाहन, धर्मरुचि, गोपाल सुभग, रोहिणी, अनंतमती, कुणिक एवं चन्द्रवाहन हुए।
सेणिक्क-भाणु-महवा वणमाल-चारू जाएज्ज चंदण-सुदा दहिवाहणो वि। लच्छीमदी वि मदणा सिरिणाग वाला
णेगा हु योग तवसीण जणाण चंपा॥7॥ यह चंपापुरी राजा श्रेणिक, राजा भानुदत्त, मघवा, रानी वनमाला, चारुदत, चंदनवाला, दधिवाहन, लक्ष्मीमती, मदनावली (राजकुमारी) नागश्री आदि एवं अनेकानेक तपस्वी जनों की नगरी मानी जाती हैं।
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तित्थंकराण समवो समए हु सव्वे वीरस्स णेग-समवो इध गच्छ-गच्छे। आगच्छिदो तध पहाव-जणेसु जादे
अप्पा हु अप्प-रद-जणेग जणा हु मुत्तं॥8॥ यहाँ प्रत्येक तीर्थंकरों के समवशरण समय समय पर आए। वीर प्रभु का समवशरण अनेक बार इसके प्रत्येकभाग में आया। यहाँ लोगों पर उनका प्रभाव हुआ। वे आत्मा में अपने आप लीन यत्न पूर्वक लोग मुक्ति को प्राप्त हुए।
पंगण्ण-कित्तिम-सरोवर-मंदिरो वि पण्णंदहं च चदुभाग-जिणो हु बिंबो। वासू सिइत्तलिस-वेदिग-रम्म-रम्मा पंचं च बाल जदि-मुत्ति विराजिदा वि॥9॥
सम्मदि सम्भवो :: 179